लखनऊ। बच्चे कोरोना संक्रमण के रिस्क जोन में है। बच्चों को बाहर या स्कूल भेजते वक्त कोरोना की पूरी गाइड लाइन का पालन करते रहना चाहिए। केरल व महाराष्ट्र में बच्चों में कोरोना के मामले बढ़ रहे है। बच्चों में कॉमन कोल्ड, इफ्लुएंजा , डायरिया जैसे लक्षण लगातार मिल रहे है, विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लेते हुए बच्चे की आरटीपीसीआर कराना चाहिए। यह बात एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य ने बुधवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित राज्यस्तरीय मीडिया कार्यशाला को संबोधित कर रहे थी।
डॉ पियाली ने बताया कि भारत में भी बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिनमें कि वयस्कों के बराबर ही संक्रमण है। अपने यहां कितने बच्चे संक्रमित हैं इस पर अभी और काम होना है इसलिए खतरा अभी टला नहीं है। उन्होने बताया कि अब स्कूल भी खुल गए हैं। इनमें ऐसे बच्चे भी होंगे जिनको कोविड का लक्षण नहीं है, लेकिन वह कोविड मरीज के संपर्क में रहे हैं। ऐसे बच्चों को स्कूल नहीं जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में कावासाकी डिजीज के लक्षण मिलते जुलते है। जांच कराने पर कावासाकी डिजीज की पुष्टि नही हुई आैर कोरोना जांच कराने पर संक्रमण की पुष्टि हुई है। बच्चों में सबसे ज्यादा मोटे, जन्मजात तथा एमआइएससी में संक्रमण होने की ज्यादा उम्मीद रहती है। देशों में हर तीन संक्रमित बच्चों में से एक बच्चे को आईसीयू की जरूरत पड़ रही है।
राज्य टीकाकरण अधिकारी ने डा. अजय घई ने बताया कि हमारी वैक्सीन से अभी तक किसी भी तरह के बड़े दुष्प्रभाव की बात सामने नहीं आई है। उन्होंने बताया कि 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग को भी यह टीका अगले माह से लगना शुरू हो जायेगा। यदि किसी कर्मचारी की तैनाती अन्य जिले में हो जाती है तो उनके लिए इंटर डिस्ट्रिक्ट पोर्टेबिलिटी सिस्टम के जरिये उनको टीका से प्रतिरक्षित किया जाएगा।
टीका लगने के बाद यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखता है, तो कोविड-19 कंट्रोल रूम के हेल्प-लाइन नंबर 05498-220827 या प्रदेश हेल्प लाइन नंबर 104 पर सम्पर्क करें।
इस मौके पर केजीएमयू के रेस्पेरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्य कान्त ने कोविड टीकाकरण के बाद शरीर में होने वाले प्रभाव के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होने बताया कि इस टीकाकरण के बाद सामान्य तौर पर थकान, बुखार आना कोई साइड इफेक्ट नहीं बल्कि यह उसके प्रभाव को दिखाता है। वैक्सीन लगवाने से पहले लगाने वाले को अपने स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी दें। हम तभी सुरक्षित हो पाएंगे जब समुदाय में हर्ड इम्युनिटी डेवलप हो जाए। इसके लिए 60 से 70 प्रतिशत लोग टीका लगवाना अनिवार्य है। इस मौके पर यूएनडीपी डॉ अहमद अब्बास आगा और यूनिसेफ के डॉ प्रफुल भारद्वाज ने टीकाकरण पर सवालों के जवाब दिये