लखनऊ । बच्चों से लेकर बड़े तक लगातार कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप, टीवी पर आंखें गड़ाए रहते हैं। इसके कारण आंखों से जुड़ी कई समस्याएं बढ़ रही हैं। ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या सबसे ज्यादा लोगों में देखने को मिल रही है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नेत्र रोग विभाग के डॉ. अरूण शर्मा ने दी।
डा. शर्मा ने बताया कि बीमारी से पीड़ित प्रत्येक ओपीडी में 20 से 25 मरीज आ रहे हैं। इस बीमारी में व्यक्ति की आंखों में सूखापन सा महसूस होने लगता है। यह दिक्कत तब होती है, जब आंखों में आंसू बनने का निर्माण प्रभावित होने लगता है। उन्होंने बताया कि हालांकि ड्राई आई होने पर आंखों की रोशनी से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि स्वस्थ्य आंखें हर समय आंसू का निर्माण करती रहती है। यह लगातार फ्लूइड से ढंकी रहती हैं, इसे क्लीनिकल भाषा में टियर फिल्म कहा जाता है। जब भी पलक झपकाएंगे यह स्थित रहते हैं।
इससे आंखों में सूखापन नहीं होता हैं। देखने का कार्य भी स्पष्ट होता है। किन्हीं कारण यदि आंसू ग्रंथियां कम आंसू पैदा करती हैं, तो टियर फिल्म अस्थिर हो सकती है। यह जल्दी ही टूट सकता है, जिससे आंखों की सतह पर सूखे धब्बे बनने की संभावना रहती हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बच्चों में यह दिक्कत ज्यादा देखने को मिल रही है।
बलरामपुर अस्पताल में नेत्र रोग विभाग के डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि आजकल के बच्चे एक से दो घंटे से ज्यादा लगातार मोबाइल देखते रहते हैं, यह घातक हो सकता है। यह नही सोने से पहले अंधेरे में मोबाइल देखना तो और भी नुकसानदेह होता है। इससे रोशनी कमजोर होने की संभावना रहती हैं। डा. गुप्ता ने परामर्श दिया कि यदि लैपटॉप पर काम करते हैं, तो बीच-बीच में आंखों को आराम अवश्य देना चाहिए।