लखनऊ, 24 जनवरी : आस-पास के लोगों के धूम्रपान से उत्तर प्रदेश में लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी ने प्रदेश के सभी मतदान केंद्रों को नो स्मोकिंग जोन घोषित कर दिया है। यह प्रदेश में होने वाले आगामी राज्य विधानसभा चुनाव के लिए है। इसके लिए, चुनाव आयोग ने चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग को लिखा है ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मतदान केंद्रों पर धूमपान प्रतिबंधित रहे।
Letter Attached –
चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में सभी जिलाधिकारियों को लिखा है कि चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध सुनिश्चित किया जाए। जिला चुनाव अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि मतदान केंद्रों के बाहर 60×30 सेमी के साइनेज लगवाए जाएं जिसपर लिखा हो, “धूम्रपान निषिद्ध क्षेत्र – यहां धूम्रपान करना अपराध है”। इस तरह मतदाताओं को सूचित किया जाए कि मतदान केंद्र धूम्रपान निषिद्ध क्षेत्र हैं।(Letter Attached)
इसका सबसे बुरा असर महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों पर होता है –
साथ के लोगों के धूम्रपान के असर के प्रति जागरूकता न होने से आमतौर पर खास कार्रवाई नहीं होती है और धूम्रपान न करने वाले अक्सर इसका असर झेलते हैं। कई बार अनजाने ही। इसका सबसे बुरा असर महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों पर होता है। अगर दिशानिर्देश जारी किए जाएं और सख्ती से लागू किए जाएं तो जनता की बड़ी सेवा होगी और धूम्रपान के खतरों के प्रति जागरूकता पैदा करने में सहायता मिलेगी।
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने हैंडबुक में राज्य के चुनाव आयोग के सभी प्रेसाइडिंग ऑफिसर को यह निर्देश जारी किया है कि देश भर के सभी मतदान केंद्रों के अंदर धूम्रपान पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। हैंडबुक के अध्याय IX की धारा 7.0 में सभी मतदान अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि मतदान केंद्रों में धूम्रपान की इजाजात न रहे। अध्याय XXXIV धारा 18 में आगे कहा गया है कि मतदान केंद्र के अंदर ना तो मतदान अधिकारी (Polling Officer) और ना मतदान एजेंट को धूम्रपान करने की अनुमति है।
उत्तर प्रदेश में 33.9% आबादी तंबाकू उत्पाद का उपयोग एक या दूसरे रूप में करती है –
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापनों पर प्रतिबंध और व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण नियमन कानून (कोटपा, 2003) की धारा (4) सभी सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान प्रतिबंधित करती है। ऐसी कोई भी जगह जहां जनता आ जा सकती है चाहे अधिकारपूर्वक या नहीं को “सार्वजनिक स्थल (पबलिक प्लेस) के रूप में पारिभाषित किया गया है। इसमें ऐसी सारी जगह शामिल हैं जहां आम जनता आती-जाती है। ऐसी सार्वजनिक जगहों पर “धूम्रपान निषिद्ध क्षेत्र – यहां धूम्रपान करना अपराध है” की चेतावनी देने वाले बोर्ड प्रवेश द्वार पर प्रमुखता से लगे होने चाहिए।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) इंडिया 2009 -10 के मुताबिक, भारत सरकार ने सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश में 33.9% आबादी तंबाकू उत्पाद का उपयोग एक या दूसरे रूप में करती है। उत्तर प्रदेश में 2.3% लोग सिगरेट पीते हैं, 12.4% लोग बीड़ी पीते हैं और 25.3% लोग बगैर धुंए वाले तंबाकू का उपयोग करते हैं।
चुनाव आयोग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह का दिशानिर्देश जारी किए जाने से ना सिर्फ सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान के खिलाफ जागरूकता आएगी बल्कि दूसरे के धुंए से होने वाले नुकसान की समस्या से भी लोगों की रक्षा होगी। सांस संबंधी बीमारियों में इसका प्रमुख योगदान होता है।