मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद में पिछली सरकार के कई बड़े चेहरों की नामौजूदगी को लेकर भले ही सवाल उठ रहे हों लेकिन इनमें से कुछ का पार्टी दूसरे तरीके से उपयोग करेगी। योगी 2.0 सरकार में जगह न पाने वालों में शामिल डा.दिनेश शर्मा और सतीश महाना को जल्द ही दूसरी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं यह भी तय है कि मंत्रिपरिषद से कुछ चेहरों का पत्ता उनकी छवि और प्रदर्शन को देखते हुए कटा गया है।
नई सरकार में जगह न पाने वालों में सबसे प्रमुख नाम आठवीं बार विधान सभा पहुंचने वाले सतीश महाना का है। महाना पिछली सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री थे। सूत्रों की मानें तो महाना की वरिष्ठता और उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें विधान सभा अध्यक्ष का ओहदा सौंपा जा सकता है। विधान सभा में इस बार मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का न सिर्फ संख्या बल बढ़ा है बल्कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव निभाएंगे। ऐसे में विधान सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा महाना जैसे राजनीतिक रूप से परिपक्व व्यक्ति को बैठा सकती है।
योगी 1.0 सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे डा.दिनेश शर्मा को नई सरकार में जगह नहीं मिली है लेकिन प्रबल संभावना है कि उन्हें विधान परिषद के सभापति का दायित्व सौंपा जा सकता है। दिनेश शर्मा वर्तमान में विधान परिषद सदस्य हैं। यह भी माना जा रहा है कि स्वतंत्र देव ङ्क्षसह को मंत्री बनाये जाने के बाद रिक्त हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पार्टी किसी ब्राह्मण को सौंपना चाहेगी। भाजपा डा. दिनेश शर्मा का उपयोग इस लिहाज से भी कर सकती है।