सीवियर पेन में भी नहीं खानी होगी मेडिसिन

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लखनऊ। देश के हर पांच आदमी में एक को किसी न किसी कारण तेज दर्द की समस्या बनी रहती है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो आपको अब किसी मेडिसिन खाने की जरूरत नहीं है। आप अपने ही सिर्फ बीस एमएल खून से उस तेज दर्द से छुटकारा पा सकेंगे। यह जानकारी लोहिया संस्थान में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी गयी।
लोहिया चिकित्सा संस्थान में अब रिजनरेटिव मेडिसिन की सुविधा शुरू कर दी गयी है। यहां के एनेस्थीसिया विभाग की ओर से संचालित पेन यूनिट के तहत मरीजों को यह सुविधा दी जा रही है। इसमें मरीज का ही खून लेकर उसमें से प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा निकालकर उस जगह पर डाल जाता है, जहां दर्द हो जा रहा है। इससे जिस कारण से दर्द हो रहा है, वो दूर हो जाता है। 28 सितंबर को विश्व क्रॉनिक पेन डे है, जिसके संदर्भ में लोहिया संस्थान में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता यह जानकारी दी गई।

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इस यूनिट को संचालित करने वाले पेन फिजीशियन डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि कोहनी, घुटने, कमर और एड़ी में अक्सर मरीजों को तेज दर्द होने की शिकायत रहती है। घुटने में कार्टलेज घिस जाने के कारण उन्हें चलने उठने और बैठने में तेज दर्द होता है। रीजनरेटिव मेडिसिन में इस तकनीक को ऑटोलॉगस बोलते हैं, जिसमें मरीज के खून से ही प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा निकालते हैं। इसमे ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो उन टिश्यू को दोबारा जनरेट करने में मदद करते हैं। अच्छी बात ये है कि इसके लिए किसी ऑपरेशन की भी जरूरत नहीं है। जिस तरह दिल के ब्लॉकेज खोलने के लिए शरीर में तार डालकर एंजियोप्लास्टी करते हैं। उसी तरह हम सीआर्म क्लोरोस्कोप मशीन के माध्यम से यह प्लाज्मा उस जगह पर डालते जिससे वो टिश्यू जो घिस जाते हैं वो दोबारा जनरेट हो जाते हैं।

डॉ शिवानी रस्तोगी ने बताया कि इस तकनीक में मरीजो के लिए ज्यादा शुल्क भी नही रखा गया है। एक से दो हजार रुपये में ही यह हो जाती है। अच्छी बात ये है कि कई मरीजों को इसे कराने के तुरंत बाद ही दर्द से आराम मिलना शुरू हो जाता है जबकि जिन्हें ज्यादा दिक्कत है उन्हें दो से तीन दिन में असर नजर आ जाता है।

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