लखनऊ । ई-हास्पिटल का सपना संजोये सिविल अस्पताल का शुक्रवार को निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी को सफाई व्यवस्था को छोड़कर तमाम कमियां मिलीं। करीब तीन घण्टे तक उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं का हाल जानकर कई नए सुझाव दिये। अस्पताल प्रशासन को इस बात का आश्वासन दिया कि नयी सुविधाओं के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे, जिसकी पूर्ति के लिए वह भी सिफारिश करेंगे।
गार्डों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये :
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में डीएम जीएस प्रियदर्शी सुबह करीब 10:30 बजे निरिक्षण के लिए पहुंचे। उनके आने की सूचना अस्पताल प्रशासन को पहले ही मिल गयी थी, इसलिए अस्पताल के निदेशक डा. हिम्मत सिंह दानू, चिकित्सा अधीक्षक डा. आशुतोष दुबे उनके साथ हो लिए। सबसे पहले जिलाधिकारी ने पार्किंग की व्यवस्था सुधारने आैर गार्डों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये। इसके बाद ओपीडी की बढ़े कि रास्ते में चर्म रोग पीड़ित मरीज ने डा. एके गुप्ता की शिकायत की, उन्होंने एक दवा बहार से खरीदने के लिए कहा है। इस पर अस्पताल प्रशासन के स्पष्ट कि बाहर नहीं यह दवा अस्पताल में मौजूद हैं, वहां से जाकर ले सकते हैं। इसके बाद एक सर्जरी के लिए आए मरीज ने शिकायत की, उसे डाक्टर भर्ती नहीं कर रहे हैं।
कोई भी दवा कम्पनी का सरकारी अस्पताल में प्रचार नहीं होना चाहिए :
अस्पताल के अधिकारियों ने उसके पर्चे पर तत्काल भर्ती करने का आदेश लिख दिया। तब जाकर मरीज संस्तुष्ट हुआ। नेत्र परीक्षण कक्ष पहुंचे, जहां पर कुछ मरीजों ने चश्मा न मिलने की शिकायत की। अस्पताल प्रशासन से जवाब दिया कि चश्मा के लिए मरीजों को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के भेजने की बात कही। इस मौके पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जीएस वाजपेयी भी मौजूद थे, जिन्हें चश्मा वितरण की प्रक्रिया को सहज बनाने के निर्देश दिये गये। आथ्रोपेडिक विभाग में एक दवा कम्पनी के कुछ पर्चे मिलने पर डीएम ने साफ कहा कि कोई भी दवा कम्पनी का सरकारी अस्पताल में प्रचार नहीं होना चाहिए। इसके अलावा जो उपकरण खराब हैं, उनकी जगह नए उपकरण लगवाए जाएं। डेंटल विभाग में दांतों को बनाने की लैब भी स्थापित की जाए ताकी मरीजों को पूरा लाभ मिल सके।
यहां पर एक डेंटल की टूटी टेबिल भी रखी थी। इसके बाद आयुष चिकित्सकों को कड़ी फटकार लगायी, क्योंकि वह अपनी विंग के बजाय एलोपैथिक विभाग की ओपीडी में बैठे मिले। डीएम 18 नम्बर ओपीडी गए जहां पर उन्होंने जंग लगी टेबल और अलमारी को हटाने के लिए बोला और कहा कि कैसा अस्पताल है ये एक भी व्यवस्था ढंग की है ही नहीं। डीएम चर्म रोग विभाग पहुंचे, जहां उन्होंने मरीजों से इलाज और दवा के बारे में पूछा। पूछने पर पता चला कि चर्म रोग विशेषज्ञ डा. एके गुप्ता मरीजों को बाहर से दवा लेने के लिए बोलते हैं। यह तरीका बिलकुल गतल हैं। गाइयनी, सर्जरी, चर्म ओपीडी का निरीक्षण करने के बाद बर्न वार्ड की तरफ सफाई व्यवस्था के लिए अस्पताल प्रशासन की तरीफ की। हालांकि, कई जगह पर कूड़ेदान रखने की बात भी कही।
बाल रोग विभाग में लालबाग अरबन हेल्थ सेन्टर चलता देखे नाराज हुए क्योंकि प्रथम तल पर बाल रोग विशेषज्ञों की ओपीडी चल रही थी। सीएमओ से इस केन्द्र को हटाने का निर्देश दिया। इसकी जगह पर अस्पताल के अन्य ओपीडी का स्थनातांरण करने का सुझाव दिया। इमरजेंसी आैर जनरल वार्डों में चादर, फ्रिज, टीवी सहित कई संसाधन लगाए जाने के निर्देश दिये। डीएम की सभी व्यवस्था सुधारने के लिए पंद्रह दिनों का समय दिया गया है, इसके बाद कोई दलील नहीं सुनी जाएगी। डीएम ने स्टाफ रूम में पड़े बेड के लिए कहा कि नर्सिंग रूम में बेड का क्या काम है। यहां पर नर्से आराम करने के लिए आती है क्या। इसके अलावा उन्होंने बेड पर पड़े दवाइयों के डिब्बों को ढंग से रखने के लिए कहा और अस्पताल में जल्द से जल्द मेडिसिन ट्राली और इंस्ट्रूमेंट ट्राली को लाये जाने के लिए कहा।
खासतौर पर महिला वार्ड में किसी भी बेड पर पर्दे न लगे होने पर उन्होंने कहा कि यहां पर महिलाओं की सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। वार्ड में एक महिला गार्ड तक नहीं है। कैसी व्यवस्था है इस अस्पताल की। महिला वार्ड में जल्द ही महिला गार्ड की व्यवस्था की जाए। शव गृह में रिफिरेटर आैर एक प्लेटफार्म बनवाने की बात कही। निरीक्षण के अंतिम चरण में अस्पताल के निदेशक डा. हिम्मत सिंह दानू ने एंजियोप्लास्टी के लिए पचास लाख रुपये का रिवालविंग फंड, लीवर साइन जैसी कई सुविधाएं बढ़ाने की बात कही, जिससे पर डीएम ने प्रस्ताव भेजने के लिए कहा।