TB रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में होगा टेस्ट

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लखनऊ। प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को निर्देश दिया है कि इलाज प्राप्त कर रहे क्षय रोगियों के निकटतम संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व क्षय रोगियों की प्रत्येक तीन महीने पर स्क्रीनिंग जरूर कराएं। उन्होंने कहा कि 2024 खत्म होने में 42 दिन शेष बचे हैं। इसलिए इस वर्ष के अंत तक प्रत्येक जनपद को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को जरूर हासिल करना है।

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उच्च अधिकारियों के साथ की गई बैठक के बाद जारी पत्र में प्रमुख सचिव ने कहा कि सभी डीटीओ डेटा की नियमित मानिटरिंग करें और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान दें। जो सबसे खराब 10 जिले हैं उनके प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर में सुधार लाने के लिए कदम उठाएं। जनपद स्तर पर नियमित बैठक करें और प्रगति की समीक्षा करें।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य है टीबी मामलों और उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना। इसके लिए प्रदेश में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसका ही परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि बैठक में टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जाँच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा।

इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश मिले हैं।
प्रमुख सचिव ने नैट मशीनों का वितरण इस तरह से करने के निर्देश दिए हैं कि सभी ब्लाकों पर टीबी की जाँच हो सके। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं और उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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