सीएम ने दिया बजट, फिर नहीं मिल रही दवा….

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लखनऊ – मुख्यमंत्री राहत कोष से कैं सर अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए केजीएमयू बजट भेजा रहा है, परन्तु यहां पर उदासीन, जिम्मेदारी अधिकारी बजट से ही उन्हें दवाएं मुहैया कराने में 15 से एक महीना तक का समय लगा रहे है आैर मरीज बेहाल है आैर तीमारदार परिक्रमा करते करते परेशान है। केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि ज्यादातर तीन से चार दिन में दवा दे दी जाती है। कहां पर लापरवाही हो रही है। इसकी जांच करा कर दोषी को कार्रवाई की जाएगी।

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चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के बने काउंटर पर लाइन लगाये समीप सीतापुर निवासी परशुराम (47) के गले में कैंसर का इलाज करा रहे है। उनका दावा है कि मुख्यमंत्री कोष से उन्हें यहां दवा दिए जाने का पत्र भी मिला है। कैंसर की दवा के लिए इंडेट 27 दिसंबर को भिजवाया गया था, परन्तु अभी तक मरीज को दवा नहीं मिली है।

इसी प्रकार इक्यावन वर्षीय अखिलेश के गले में गांठ है। मरीज पास मुख्यमंत्री कोष से उपचार के लिए पत्र है। उसकी रेडियोथेरेपी-कीमोथेरेपी हो चुकी है। परन्तु दवा के लिए मरीज केजीएमयू के आए दिन परिक्रमा कर रहा है। उसका कहना है कि काउंटर पर जाकर कई जानकारी ले चुका है, परन्तु अभी तक उसकी दवा नहीं आयी है। इसी प्रकार केजीएमयू में ब्लड कैंसर का इलाज करा रहे जालौन निवासी किशुन लाल (50) भी परेशान है। उनका कहना है कि गरीब होने के कारण मुख्यमंत्री राहत कोष से दवा व उपचार के लिए बजट दिया गया था। मरीज ने बीते साल दिसम्बर में दवा के लिए इंडेट भिजवाया था, लेकिन 23 दिन बीतने बाद भी मरीज को दवा नहीं मिल पाई।

अगर नियमों को देखा जाए तो हालत यह है कि इंडेट भेजे जाने के हफ्ते भर के अंदर मरीजों को दवाएं मिल जाना चाहिए। केजीएमयू प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से कैंसर मरीजों को 25 से 30 दिन दवाओं के इंतजार करना पड़ रहा है। बृहस्पतिवार सुबह से ही चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय पास बने दवा काउंटर पर दवा लेने के लिए मरीजों की लंबी कतार सुबह से लगी थी। मरीज-तीमारदारों का आरोप है कि सुबह-शाम तक खड़े रखने बाद भी दवाएं नहीं मिल रही है। तीमारदारों ने हंगामा भी किया तो उन्हें बाहर करके गेट बंद कर दिया गया। इससे पहले भी दवाएं न मिलने पर कैंसर मरीज-तीमारदारों ने हंगामा मचाया था।

केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार का कहना है कि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री राहत कोष से कैंसर मरीजों को दवाओं के लिए 20 हजार से लेकर करीब एक लाख रुपए का बजट मिलता है। कैंसर मरीजों को इंडेट भेजे जाने के तीन से चार दिन के अंदर दवाएं मुहैया कराई जाती है। कहा कैंसर मरीजों को देरी से दवाएं क्यों मिल रही है। इसकी पड़ताल कराई जाएगी। कैंसर मरीजों के उपचार में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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