आम तौर पर दर्द होने पर या तेज बुखार होने हम कॉम्बिफ्लेम का सेवन करते है याफिर दूसरे को खाने की सलाह दे देते है। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो पेनकिलर कॉम्बिफ्लेम खाने से पहले सर्तक रहे। बाजार में कॉम्बिफ्लेम के ऐसे बैच आ गए हैं जो स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है। सीडीएससीओ ने भी नोटिस जारी करते हुए कहा है कि कॉम्बिफ्लेम के बैच स्तरीय गुणवत्ता के नही है। ग्लोबल हेल्थकेयर सनोफी ने देश के बाजारों से कॉम्बीफ्लैम के कुछ बैचों को हटाने का फैसला किया है।
दवाओं के सबसे बडे ब्रांड सनोफी ने जिन बैच की दवाओं का जिक्र किया है, उन्हें बीते साल जून से जुलाई के बीच बनाया गया है. इनकी एक्सपायरी डेट मई, 2018 से जून, 2018 के बीच की है। इस बेच की दवाओं को कंपनी के गुजरात में स्थित अंकलेश्वर की फैक्टरी में बनाया गया था. डीएससीओ ने कॉम्बिफ्लेम के जिन बैचों को निम्न क्वालिटी का माना है, वे जून, 2015 और जुलाई, 2015 में तैयार किए गए थे और ये मई, 2018 और जून, 2018 की एक्सपायरी डेट तक के लिए हैं।
डिसइंटीग्रेशन टेस्ट में रहे नाकाम
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने अपने वेबसाइट पर पोस्ट किए गए नोटिस में कहा है कि कॉम्बिफ्लेम के कुछ बैच स्तरीय गुणवत्ता के नहीं पाए गए क्योंकि यह डिसइंटीग्रेशन टेस्ट में नाकाम रहा है. डिसइंटीग्रेशन टेस्ट का उपयोग किसी टैबलेट या कैप्सूल के मानव शरीर में पहुंचकर टूटने के समय को मापने के लिए होता है. इस टेस्ट का इस्तेमाल औषधि निर्माण के क्षेत्र में गुणवत्ता मापने में किया जाता है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने सनोफी इंडिया की कांबीफ्लेम की गुणवत्ता परखने के लिए इसका डिसइंटीग्रेशन टेस्ट कराया था।
दो बैचों की वापसी का काम जारी है
बताते चले कि कॉम्बिफ्लेम पैरासिटामोल और आईबूप्रोफेन का कॉम्बिनेशन है। सनोफी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि कॉम्बिफ्लेम के मामले में डिसइंटीग्रेशन टाइम देरी से डॉक्टर और मरीजों की सेफ्टी पर कोई असर नहीं पड़ा है। कंपनी पहले ही दो बैच की दवाएं वापस ले चुके हैं जबकि दो बैचों की वापसी का काम जारी है।