पुराने मोतियाबिंद की होगी इस तकनीक से जटिल सर्जरी

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में नेत्र रोग लगातार मरीजों के हित में उच्चस्तरीय तकनीक का प्रयोग कर रहा है। इसके तहत अब अधिक पुराने व सख्त हो चुके मोतियाबिन्द का सटीक सर्जरी शुरू हो गयी है। इसके लिए नेत्र रोग विभाग ने सर्जरी की नयी तकनीक विकसित की है, जो मोतियाबिन्द मरीजों के लिए उजाले की नयी उम्मीद लेकर आयी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

नेत्र रोग विभाग के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि काफी संख्या में ऐसे लोग है, जो कि मोतियाबिंद का समय पर सर्जरी नहीं कराते हैं। इस कारण मोतियाबिंद भूरा होने लगता है। काफी दिनों का होने के बाद यह काफी सख्त हो जाता है।

 

 

 

 

इसके बाद फेको इमल्सीफिकेशन से सर्जरी मुश्कि हो जाती है, यही नही सुरक्षित भी कम रहती है। इस कठिन सर्जरी के लिए नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों ने हॉरिजॉन्टल डायरेक्ट चॉप तकनीक बनायी है। डॉक्टर पहले सख्त मोतियाबिंद के मरीजों को फेको तकनीक से सर्जरी से अनुमति नहीं देते थे। पारंपरिक विधि से मोतियाबिंद के सर्जरी होती थी। अब नयी तकनीक से यह सर्जरी आसान हो गयी है। हॉरिजॉन्टल चॉप की नयी तकनीक ब्लंट टिप्ड नागहारा फाको चॉपर नामक एक नए उपकरण के साथ की जाती है। नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर उन रोगियों में भी सफलतापूर्वक फेको सर्जरी कर रहे हैं, जिन्हें पहले यह सर्जरी की जटिलता बतायी गयी थी। डॉ. विशाल कटियार ने बताया कि मोतियाबिंद के ऐसे मरीजों को चिन्हित कर सर्जरी की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक काफी सुरक्षित है आैर मरीजों की आंखों की रोशनी भी बरकरार रहती है।

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