कोरोना ने दिया दवा कारोबार को नया क्षेत्र

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मास्क सैनिटाइजर के साथ कई नई दवाएं और उपकरण की बढ़ी डिमांड
लखनऊ। कोरोनावायरस ने दवा बाजार के क्षेत्र में कई अहम बदलाव ला दिए हैं। इस साल जहा मौसमी बीमारियों में प्रयोग होने वाली दवाओं की बिक्री कम हो रही है वही मास्क सैनिटाइजर के साथ संक्रमण रोधी, स्वास्थ्य वर्धक दवाओं का बाजार करीब 50 फ़ीसदी तक बढ़ा है। दवा बाजार में कोरोनावायरस के बहाने कई नए उपकरण भी कदम जमा लिए हैं।
राजधानी में करीब 4000 थोक व फुटकर मेडिकल स्टोर हैं। इसमें 850 थोक की दुकानें हैं, जिन्होंने विभिन्न दवा कंपनियों की एजेंसी ले रखी है। गोदाम से सीधे इन एजेंसियों के माध्यम से दवाओं की सप्लाई की जाती है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन करीब 30 करोड़ का कारोबार होता रहा है। दवा कारोबारियों का कहना है कि इस बार लोगों का बाहर निकलना कम होने की वजह से मौसम बीमारियों मैं प्रयोग होने वाली दवाओं की बिक्री घटी है। इस वजह से कई दवा कारोबारियों ने अपने खर्चों में कटौती करने के लिए अलग अलग रणनीति बनाकर कार्य किया है। किसी ने कर्मचारी कम किए हैं तो किसी ने दूसरे तरह की कटौती की है। ज्यादातर कर्मचारियों ने वैकल्पिक रणनीति अपनाते हुए कोरोनावायरस से बचने के लिए प्रयोग होने वाले दूसरे चीजों पर ध्यान दिया है।

इनका बड़ा कारोबार
दवा बाजार में ग्लब्स, सेनेटाइजर और मास्क की बिक्री सिर्फ अस्पतालों में होती थी, लेकिन इस वर्ष इस बाजार ने तेजी दिखाई। कोरोनावायरस के आने के बाद इनकी बिक्री करीब 90 बढ़ी है। इस समय भी थोक मार्केट मैं प्रतिदिन करीब 50 लाख की बिक्री हो रही है। इसी तरह आईवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, एजिंथ्रोमाइसिन और पैरासिटामॉल का कारोबार भी बड़ा है। पेरासिटामोल को छोड़कर अन्य दवाएं नाम मात्र की ही बिकती थी। इन पुरानी दवाओं के साथ ही कोरोना से जुड़ी कुछ अन्य दवाएं भी आ गई हैं। प्रतिदिन औसतन 10 लाख का इनका कारोबार है। पहले अकेले पैरासिटामाल की प्रतिदिन की बिक्री करीब दो लाख की प्रतिदिन की होती थी। अब यह ढाई लाख से अधिक हो गया है।
विटामिन सी और अन्य स्वास्थ्य वर्धक दवाओं में भी बढ़ोतरी
दवा कारोबारियों का कहना है कि अभी तक विटामिन सी और अन्य स्वास्थ्य वर्धक दवाएं सिर्फ वही लोग खरीदते थे जिनकी लंबे समय तक दबाए चलती रहती थी। लेकिन करोना काल में इन दवाओं का प्रयोग हर व्यक्ति कर रहा। पहले प्रतिदिन की औषध बिक्री करीब 50,000 से एक लाख की होती थी। जो अब बढ़कर तीन से चार लाख तक पहुंच गई है। इस समय विटामिन सी से जुड़े कई नए प्रोडक्ट भी बाजार में आ गए हैं। इनकी भी दंड बढ़ी है।

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