न्यूज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल में छात्रों से ली गई फीस का 15 प्रतिशत वापस करना होगा। जो फीस में समायोजित कर लिया जाए और जो पास आउट हो चुके हैं, उन्हें वापस कर दिया जाए। स्कूल प्रबंधन को यह काम दो महीने में करना होगा।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने आदर्श भूषण की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया याचियों की ओर से कहा गया कि कोरोना का प्रकोप शुरू होते ही उत्तर प्रदेश
सरकार की ओर से स्कूलों को फीस बढ़ाने और कई तरह की अन्य सुविधा शुल्क न लेने के लिए निर्देश जारी हुआ था। इसके बावजूद बहुत 2020-21 में फीस में 10 फीसदी वृद्धि कर दी।
जनहित याचिका पर छात्र पढ़ रहे हैं, उनकी हाईकोर्ट का फैसला से स्कूलों ने शैक्षिक सत्र
अभिभावकों की ओर से आपत्ति करने के बाद स्कूलों ने फीस को कम नहीं किया और न ही वापस किया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन स्कूल जोधपुर व अन्य बनाम स्टेट आफ राजस्थान व अन्य के केस में शैक्षिक सत्र 2020-21 में 15 फीसदी फीस कम करने का आदेश पारित किया।