लखनऊ। कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों में देखा गया है कि फेफड़ों के मरीजों के अलावा किडनी की बीमारी के पीड़ित लोगों के लिए काफी घातक हो रहा है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों में फेफड़े के बाद किडनी डिजीज से मरने वाले मरीज ज्यादा संख्या है। अगर देखा जाए संक्रमित मरीजों में एक्यूट किडनी इंजरी तथा किडनी फेल्योर ज्यादा हो रहा है।
केजीएमयू में इलाज कर रहे विशेषज्ञो की माने, तो किडनी की दिक्कत तब आैर ज्यादा बढ़ जाती है जब कि मरीज किडनी किसी बीमारी से पीडि़त हो। सबसे ज्यादा परेशानी किडनी की बीमारी में डायलिसिस के मरीजों को हो रही है। राजधानी में केजीएमयू, पीजीआई, लेांिहया संस्थान या एक निजी क्षेत्र के अस्पताल में कोविड-19 के मरीजों की डायलिसिस की सुविधा मौजूद है। यह पर भी निर्धारित डायलिसिस मशीने संक्रमित मरीजों के लिए लगायी गयी है। इस कारण मरीजों की डायलिसिस के लिए वेंटिल लिस्ट लम्बी होती जा रही है। इंटरनेशनल सोसायटी आफ नेफ्रोलॉजी की रिपोर्ट में किडनी से जुड़ी समस्याएं आने का जिक्र किया गया है। कोरोना संक्रमण के बाद गुर्दे से जुड़ी बीमारी में एक्यूट किडनी इंजरी तथा किडनी फेल्योर सबसे प्रमुख है। कोरोना से लगभग 15 प्रतिशत मरीजों में एक्यूट किडनी इंजरी का होते देखा गया है।
देखा गया है कि फेफड़े के बाद किडनी पर सबसे ज्यादा असर करता है। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद लगभग 27 प्रतिशत से ज्यादा मरीज किडनी फेल्योर की चपेट में आ गये थे।
कोरोना संक्रमण के कारण फेफड़े में तरल पदार्थ भर जाने से सूजन आ जाती है, जिससे मरीज निमोनिया या एक्यूट रेस्पटरी डिस्ट्रेज की चपेट में चला जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, ऐसी स्थिति में मरीजों को कृत्रिम सांस के लिए वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मरीज के शरीर में मौजूद रक्त कणिकाएं शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहंुचा पाती है। जिससे शरीर के अंग कमजोर पड़ने लगते है आैर फेफड़े के बाद इसका असर गुर्दे पर भी पड़ने लगता है।