लखनऊ । मां का दूध शिशुओं के लिए आदर्श पोषण है और कई प्रकार के स्वास्थ्य और विकास से सम्बंधित लाभ प्रदान करता है। मां के दूध में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व शिशुओं को बीमारी से बचाने में मदद करते हैं। इसमें वह सभी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा और विटामिन का लगभग सही मिश्रण होता है, जो बच्चे को बढ़ने के लिए चाहिए। इसमें एंटीबॉडीज होते हैं ,यह शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं और कई सामान्य बीमारियाँ, वायरस व बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। शिशु को जीवन के पहले महीनों में जिन पोषक तत्वों कि आवश्यकता होती है मां के दूध में वह सभी उपस्थित होते हैं। 6 माह तक पूर्ण रूप से शिशु को मां का दूध ही दिया जाना चाहिए व 6 माह से एक वर्ष तक मां के दूध के साथ- साथ पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए। जिससे शिशु का विकास उचित व पूर्ण रूप से हो सके। स्तनपान से बच्चे के अस्थमा या एलर्जी होने का खतरा कम होता है। साथ ही साथ जिन शिशुओं को पहले 6 महीनों तक बिना किसी फॉर्मूले के विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है, उनमें संक्रमण, श्वसन संबंधी बीमारियां और दस्त के लक्षण कम होते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चों में बड़े होने पर अधिक वजन या मोटापा और मधुमेह होने की संभावना कम होती है। साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस (कमजोर हड्डियां), हृदय रोग होने का खतरा कम होता है।
आहार विशेषज्ञ हर्षिता गुप्ता का कहना है कि अब तक मौजूदा रिपोर्टों में स्तन के दूध में COVID-19 पैदा करने वाले वायरस नहीं पाया गया है । ऐसी स्थिति में भी माताएं शिशुओं को स्तनपान करा सकती हैं। स्तनपान कराते समय सावधानियों व स्वच्छता का उचित ध्यान रखना चाहिए। स्तनपान के दौरान मास्क ज़रूर पहनें, बच्चे को छूने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोएं व सतहों को नियमित रूप से पोंछे और कीटाणुरहित करें। यदि माँ संदेह कि स्थिति में है कि उसे कोरोनावायरस हो सकता है, तो वह अपना दूध स्तन पंप का उपयोग करके एक साफ कप में निकालकर चम्मच से बच्चे को पिला सकती है।
प्रस्तुति : आहार विशेषज्ञ डॉक्टर हर्षिता गुप्ता