बीटेक कर चुकी दीक्षा के परिजन सपना संजोए थे कि उनकी बेटी नाम रोशन करेगी, पर 11 जुलाई को गोमती नगर में एक्सीडेंट ने सब कुछ बदल कर रख दिया। एक्सीडेंट में वह गंभीर रुप से घायल हो गयी और पिता भी चोटिल हो गये। शुक्रिवार को डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परिजनों को समझाने पर अंगदान कराने के लिए मना लिया। बेटी दीक्षा ने जाते जाते तीन जिंदगी रोशन कर गयी। उसका लिवर ग्रीन कारीडोर बना कर दिल्ली भेज दिया गया और दोनो किडनी एस जी पीजी आई भेज दी गयी।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा एस सी तिवारी ने बताया कि दीक्षा गोरखपुर की मूल निवासी थी। उसके मामा आलमबाग में रहते है। पिता अनिल पेशे से मेडिकल रिप्रेजटेटिव है। वह बेटी दीक्षा के गोमती नगरमें बेव मॉल के पास सडक क्रास कर रहे थे। इस बीच तेजी से आ रही बाइक ने टक्कर मार दी। 11 अगस्त से दीक्षा गंभीर हालत में थी। पिता अनिल श्रीवास्तव का इलाज घर पर चल रहा है। दीक्षा के एक छोटा भाई है।
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केजीएमयू ने अंगदान दिवस पर अंगदान कराने में सफलता पा ली है। उप चिकित्सा अधीक्षक डा वेद ने बताया कि केजीएमयू अब तक 25 किडनी व 16 लिवर प्रत्यारोपण में करा चुका है। दिल्ली लिवर डा. अभिजीत चंद्रा लेकर गये है।