दवाओं की कीमत वास्तविक मूल्य से 3000 प्रतिशत अधिक निर्धारित करती हैं कुछ कंपनिया

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न्यूज। सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में यह चौंकाने वाल तथ्य स्वीकार किया कि कुछ दवा कंपनियां दवाओं की अधिकतम खुदरा कीमत उनकी वास्तविक कीमत से 3000 प्रतिशत अधिक निर्धारित करती हैं। रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में उच्च सदन को बताया कि सरकार इस बात से अवगत है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां एक दवा पर छपी अधिकतम खुदरा कीमत उसके उत्पादन की लागत के 3000 प्रतिशत से अधिक है।

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कांग्रेस के मोतीलाल वोरा ने पूछा था कि क्या सरकार को यह जानकारी है कि दवा निर्माता कंपनियां दवाओं की कीमत उनके वास्तविक मूल्य से 3000 प्रतिशत अधिक निर्धारित करती हैं, जिनके कारण मरीजों के लिये दवा खरीदना कठिन हो गया है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा सरकार इस बात से अवगत है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां एक दवा पर छपी एमआरपी उसके उत्पादन की लागत का 3000 प्रतिशत से अधिक है।”

दवा कंपनियों के इस कदाचार को खत्म करने आैर निर्धारित सीमा तक इन कंपनियों का लाभ सुनिश्चित करने के लिये कोई कानूनी व्यवस्था बनाने से जुड़े सवाल के जवाब में गौड़ा ने कहा, ”आैषधि कंपनियों के मुनाफे की अधिकतम सीमा निर्धारित करने के लिये सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।” गौड़ा ने कहा कि दवाओं की कीमतें देश में आैषध मूल्य नियंत्रण आदेश 2013 के प्रावधानों के अनुसार विनियमित होती है। भाजपा के विकास महात्मे के उचित मूल्य पर दवायें उपलब्ध कराने से जुड़ी ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन आैषधि योजना” से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस साल आठ जुलाई तक देश में 5415 जन आैषधि केन्द्र खोले गये हैं। इन आैषधि केन्द्रों पर 900 प्रकार दवायें आैर 154 सर्जिकल सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।

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