लखनऊ। शरीर में प्लेटलेट्स की कमी गंभीर बीमारी के लक्षण माने जाते हैं। प्लेटलेट्स की कमी से ब्लीडिंग हो सकती है। इससे मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसपी वर्मा ने दी।
वह शनिवार को केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. एसपी वर्मा ने कहा कि प्लेटलेट्स कम होने से आसानी से ब्लीडिंग हो सकती है। त्वचा पर छोटे बैंगनी रंग के धब्बे हो सम्भावना होती है आैर नाक से ब्लड आ सकता है। मसूड़ों से भी ब्लड आने की आशंका रहती है। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स बहुत कम होने से दिमाग में भी ब्लीडिंग हो सकता है। प्लेटलेट्स की कमी को क्लीनिकल साइंस में थ्राम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं। इसमें ब्लड में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं होते हैं। प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं जो किसी भी चोट या खरोंच के बाद खून का थक्का बनाने में मदद करते हैं। ये कोशिकाएं आपस में चिपक जाती हैं, जिससे ब्लीडिंग बंद हो जाता है। डॉ. वर्मा ने बताया कि प्लेटलेट्स से शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत भी मिलती है। डेंगू, टाइफाइड, मलेरिया या चिकनगुनिया जैसी बीमारी होने से ब्लड में प्लेटलेट्स घटने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती हैं। इसके अलावा एल्कोहल या दवाइयों का ज्यादा सेवन से भी समस्याएं गंभीर हो जाती हैं।
हीमैटोलॉजिस्ट डॉ. भूपेंद्र सिंह का कहना है कि ब्लड कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। नयी दवाएं भी बाजार में आ रही हैं। इससे ब्लड कैंसर का इलाज आसान हो गया है। पहले मरीजों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराया जाता है। कीमोथेरेपी की दवा मरीज को चढ़ाने के बजाय अब टैबलेट के रूप में कीमोथेरेपी हो सकती है। डॉक्टर के परामर्श के बाद मरीज घर पर रहकर कीमोथेरेपी ले सकता है।
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