न्यूज। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिल्ली सरकार द्वारा जलाशय, नदी तट आैर अन्य सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा के आयोजन पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर बुधवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पहले से संक्रमण की तीसरी लहर चल रही है आैर बड़े स्तर जमावड़े को अनुमति देने से संक्रमण का खतरा आैर फैल सकता है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली आैर न्यायमूर्ति सुब्राहृण्यम प्रसाद की एक पीठ ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी। डीडीएमए ने अपने आदेश में कहा था कि 20 नवंबर को छठ पूजा के लिए सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ के जमा होने की अनुमति नहीं होगी। दुर्गा जन सेवा ट्रस्ट ने अदालत में डीडीएमए के फैसले को चुनौती दी थी।
ट्रस्ट ने छठ पूजा के लिए 1,000 लोगों के जमा होने को लेकर अनुमति देने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा, ”दिल्ली सरकार शादियों में 50 से ज्यादा लोगों को आने की इजाजत नहीं दे रही है आैर आप चाहते हैं कि केवल 1,000 लोग आएं।””
पीठ ने कहा कि प्राधिकरण ने दिल्ली में संक्रमण के प्रसार को देखते हुए आदेश जारी किया आैर कहा कि याचिका में दम नहीं है।
पीठ ने कहा कि मौजूदा समय में इस तरह की याचिका जमीनी सच्चाई से परे है। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता को शहर की मौजूदा स्थिति पर भी गौर करना चाहिए ।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता कोविड-19 की स्थिति से अवगत नहीं है । अदालत ने कहा, ”संक्रमण के 7800 से 8593 तक मामले आ रहे हैं …कई मौतें हो रही हैं। शहर में 42,000 मरीजों का उपचार चल रहा है।””
राजधानी में हजारों लोग खासकर बिहार आैर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग छठ पूजा मनाते हैं ।