लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत संकाय में अब कम खर्च में दांतों का इंम्प्लांट भी किया जा सकेगा। यहां पर जर्मनी के रिसर्च सेंटर के साथ हुए समझौते में शुरू हुए इम्लांट सेंटर में बायोकार्टिक तकनीक से इंम्प्लांट लगाये जा सकेंगे। इनकी कीमत निजी डेंटल क्लीनिकों से काफी कम होगी। इसके साथ ही यहां पर डाक्टरों को प्रशिक्षित भी किया जा सकेगा।
बायोकार्टिकल तकनीक से दांतों का इम्प्लांट किया जा सकेगा :
दंत संकाय के चिकित्सा अधीक्षक डा. यू एस पाल ने बताया कि केजीएमयू के दंत संकाय के साथ जर्मनी की सिम्प्लाडेंट कम्पनी के साथ एमओयू किया है। इस एमओयू के होने के बाद इंम्लाट सेंटर बनाया जा रहा है। यहां पर अब बायोकार्टिकल तकनीक से दांतों का इम्प्लांट किया जा सकेगा। इस डेंटल इंम्प्लाट को अभी तक 4500 रुपये तक लगाया जाता है। यह निजी क्षेत्रों में इंम्प्लांट करने की कीमत काफी ज्यादा होती है आैर इस तकनीक का प्रयोग भी सभी डेंटल सर्जन नहीं कर पाते है। इसके विशेषज्ञ डा. लक्ष्य यादव ने बताया कि बायोकार्टिकल इंम्प्लाट के लिए एमओ यू हो जाने के बाद यहां पर इसकी कीमत आैर भी कम हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी तक यहां पर एक इम्प्लांट की कीमत अभी 4500 रुपये तक आती थी, पर अब अौर कम हो जाएगी।
इस बायोकार्टिकल इंम्प्लांट के लगने के दो से तीन दिन बाद मरीज सामान्य आहार ले सकता है। इससे पूरे दांत भी लगाये जा सकते है। इस सेंटर के प्रभारी डा. यूएस पाल ने बताया कि सेंटर बनने के बाद यहां पर स्किल लैब भी शुरू किया जाएगा, जिसमें डाक्टरों को बायोकार्टिकल इम्प्लांट करना भी सिखाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर ऊपर की बत्तीसी व नीचे के चार दांत लगवाया जाए तो इसमें लगभग 60 हजार रुपये का खर्च आता है। निजी क्षेत्रों में बायोकार्टिकल इम्प्लांट का दो लाख से लेकर चार लाख रुपये तक इसकी शुल्क लिया जाता है।