लखनऊ। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लगभग दो लाख रुपये की एक्सपायरी दवाओं की पकड़ी है, लेकिन उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को एक्सपायर सूची के लिए करीब 45 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। लोहिया संस्थान के अधिकारी लिस्ट न देने के लिए तरह – तरह के बहाने बना रहे थे, परन्तु एक्सपायरी दवाओं की तह तक जाने के लिए मुख्य स्टोर से लेकर सर्वर रूप में उपमुख्यमंत्री खुद गये। एक्सपायर दवाओं की लिस्ट तत्काल नहीं मिल पायी। दवाओं लिस्ट मिलने के बाद मौके पर पाया गया कि लाखों रुपये से अधिक की एक्सपायर दवाएं वापस नहीं की गई। उपमुख्यमंत्री ने तत्काल प्रमुख सचिव से जांच करने के निर्देश दे दिए है।
वही देर शाम को लोहिया संस्थान के जिम्मेदार अधिकारियों का दावा था कि एक्सपायरी दवाओं की जानकारी कम्पनी को दे दी गयी थी। कम्पनी ने एक्सपायरी दवाओं की लागत वित्तीय वर्ष में घटा भी दिया था, लेकिन दवाओं को समय नही हटाने के कारण काफी संख्या में रखी हुई थी।
लोहिया संस्थान में मरीजों को कम दाम पर दवा उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड के तहत दवाओं की खरीदी जाती है, यह दवाएं न तो समय पर कंपनी को लौटाई गयी आैर न ही मरीजों को दी गयी। लोहिया संस्थान के निरीक्षण पर अचानक आये उपमुख्यमंत्री एक्सपायर दवाओं की जानकारी लेने के लिए डिप्टी करीब डेढ़ बजे एचआरएफ के मुख्य स्टोर पहुंच गये। वहां उन्होंने कर्मचारियों से एक्सपायर दवाओं की सूची मांगी।
उपमुख्यमंत्री को देख हड़बड़ाये कर्मचारियों ने सूची उपलब्ध कराने में असमर्थता जाहिर की। कर्मचारियों ने बताया कि यह दवाओं की लिस्ट मुख्य सर्वर से मिलेगी। इसके बाद जाने लगे तो लोहिया संस्थान अधिकारियों ने कहा हम ले आते है, परन्तु उपमुख्यमंत्री सर्वर रूम पहुंच गये। यहां कम्प्यूटर बंद मिले आैर कमरे में गदंगी मिली। उपमुख्यमंत्री ने वहां के हालत देख नाराजगी जाहिर की। इस पर उपमुख्यमंत्री की सख्ती दिखायी तो वर्ष 2017 से 2022 तक की 322 पेज की एक्सपायर दवाओं की लिस्ट दी गयी। उपमुख्यमंत्री ने दवाओं की लिस्ट देखते हुए कीमत पूछी तो मौजूद अधिकारी लीपापोती में जुट गए।
उपमुख्यमंत्री ने एक्सपायरी दवाओं की लिस्ट में गड़बड़ी देखने का बाद निदेशक डा. सोनियानित्यानंद व प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि आप लोगों ने सोचा था कि मैं दवा की लिस्ट लिए बिना ही चला जाउंगा। बिना लिस्ट मैं नहीं जाऊंगा। प्राथमिक जांच में दो लाख 48 हजार छह सौ 68 दवाएं एक्सपायर हो गईं। जिन्हें वापस नहीं किया गया। प्राथमिक नजर में ही इन दवाओं की कीमत करीब लाखों रुपये से अधिक है। उन्होंने कहा कि ये सरकार का रुपया है। गरीब जनता का पैसा है। इसका जिम्मेदार कौन होगा। उन्होंने तत्काल प्रमुख सचिव से जांच करने के निर्देश दे दिए है। जांच के निर्देश के बाद लोहिया संस्थान अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है।