देशी तरीके से आहार में एंटी आक्सीडेंट की बढ़ाये मात्रा

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लखनऊ। कैंसर से बचने के लिए भोजन में एंटी आक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाने की जरूरत है। नियमित आहार में लहसुन, टमाटर, लौंग, दालचीनी, हल्दी आदि हैं, लेकिन लोगों को सही जानकारी नहीं है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने इंटरनेशनल सोसायटी फॉर फूड एंड न्यूट्रिशन की ओर से केजीएमयू में आयोजित न्यूट्रिशन फॉर हेल्थ 2019 कार्यशाला में दी। इस दौरान विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सक, डायटिशियन आदि मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सब्जी में प्रयुक्त होने वाले ज्यादातर मसालों में भी एंटी आक्सीडेंट है। कु लपति ने कहा कि एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन से इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है।

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यह तत्व शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होते हैं। सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. नरसिंह वर्मा ने कहा कि किसी भी चीज का कम खाना और अधिक सेवन करना दोनों नुकसानदायक है। शरीर की क्षमता के अनुसार संतुलित भोजन लेने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने डा. शिक्षित भारद्वाज के साथ ओमेगा -3 अभियान की शुरुआत की। इसके तहत देशभर में लोगों को भोजन में तेल के चयन को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करके जागरुक किया जाएगा। सीआरपीएफ के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ केनजोम ने बताया कि हमें प्राकृतिक और अपने भोगौलिक परिस्थितियों के अनुरूप ही भोजन करना चाहिए। विशिष्ट अथिति मास्टर शेफ पंकज भदौरिया ने कहा कि उत्तरी भारत का मुख्य तेल सरसों है जबकि दक्षिण भारत का प्रमुख तेल नारियल है।

उन्होंने भी देश, मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप भोजन करने की सलाह दी। लोहिया संस्थान की डा. शिप्रा भारद्वाज ने बताया कि देश में कैंसर के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फलियों का प्रयोग कम किया जाता है। खासतौर से महिलाओं को इसे अपने खाने में नियमित सेवन करना चाहिए। इसके जरिए हम कैंसर के असर को कम कर सकते हैं। सब्जियों मेंफूलगोभी और ब्रोकोली में दो ताकतवर कैंसर रोधी अणु होते हैं। ये दोनों डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। ये पेट के कैंसर रोकने में काफी हद तक सहायक की भूमिका में निभाते हैं। केजीएमयू डायटिशियन सैल्वी वर्मा ने बताया कि खानपान में कच्ची सब्जियाों का प्रयोग बढाया जा सकता है।

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