लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों की इलाज में लापरवाही मरीजों की जिंदगी के साथ-साथ तीमारदारों की भावनाओं व संवेदनाओं को नजर अंदाज कर रही हैं। सेंटर में स्ट्रेचर पर इलाज के लिए भर्ती अधेड़ उम्र की महिला की धड़कने थम चुकी थी, फिर भी जल्द इलाज का आश्वासन देकर आधा घंटे तक एम्बुबैग से ऑक्सीजन देने के लिए कहते रहे,जब देर होने पर तीमारदारों ने इलाज की फरियाद की तो आकर मरीज को मृत घोषित किया गया। तीमारदार सदमें थे कि आखिर मौत पहले हो चुकी थी कि एम्बुबैंग से आक्सीजन देने के दौरान हो गयी।
अमेठी निवासी महिला धनराजा (55) को लगातार झटके आ रहे थे। तीमारदारों ने जब स्थानीय डॉक्टरों ने उन्हें इलाज कराने के लिए पहुंचे तो उन्होंने जांच के बाद केजीएमयू के ट्रामा सेंटर रेफर किया। तीमारदारा वासुदेव अपनी मां धनराजा को लेकर लगभग दोपहर डेढ़ बजे पर ट्रॉमा सेंटर पहुंचा। यहां पर धनराजा का स्ट्रेचर पर लेकर तो अंदर गये तो सुरक्षा गार्ड ने स्ट्रेचर साइड में लगवा दिया। कहा गया अंदर मरीज ज्यादा है। कई बार गुहार के बाद कैजुअल्टी में धनाराजा को जाने को मिला। उसका आरोप है कि डॉक्टरों ने ऑक्सीजन की जरूरत बतायी आैर महिला मरीज को एंबुबैग लगा दिया अौर तीमारदार को एंबुबैग दबाते रहने के लिए कहा। बेटे विश्वास के कहना है कि दो बजे उसे लगा कि मां धनराजा की धड़कन नहीं चल रही है।
शरीर ठंडा पड़ता जा रहा है। उसने डाक्टर को वहीं से आवाज देकर बताया कि शायद धड़कन नहीं चल रही है, परन्तु संवेदनहीन डॉक्टर ने बिना देखे ही कह दिया कि अभी एंबुबैग दबाते रहो हम आते है। उनका आरोप है कि लगभग ढाई बजे आकर डॉक्टर ने धनराजा को देखा अौर मृत घोषित किया। तीमारदार हैरान थे कि अगर कुछ देर पहले इलाज मिल गया होता तो शायद वह बच सकती थी। इस बारे में केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि ऐसी घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। अगर शिकायत मिली तो जांच कराया जाएगा।
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