लखनऊ। अगर समय रहते डायबटीज के इलाज व जागरूकता के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाये गये तो आगे आने वाले वर्ष डायबटीज मरीजों की संख्या बढ जाएगी। डायबिटीज में आमतौर पर लोग एलोपैथ की दवाओं का सेवन शुरू करके नियत्रिंत होने का दावा करने लगते, पर डायबिटीज को आहार, योग व सामान्य व्यायाम से नियत्रिंत किया जा सकता है। खास कर महिलाओं में बढ़ते डायबटीज के कारण योग महत्वपूर्ण हो जाता है।
योग से लोगों विभिन्न बीमारियों का निदान करने में वर्षो से सक्रिय योग गुरु विशेषज्ञ सुमन पवार कहना है कि बदलते परिवेश में जीवनशैली तनाव पूर्ण होती जा रही है। युवा वर्ग समय पर भोजन व व्यायाम नहीं कर पाता है। लगातार इस प्रक्रिया से गुजरते रहने वाले ज्यादातर लोगो डायबिटीज के शिकार हो जाते है। उन्होंने बताया कि अगर माता पिता या परिवार में अन्य किसी को डायबिटीज है तो होने की ज्यादा सम्भावना हो जाती है। वर्तमान में तो खानपान पर ध्यान रखने के कारण बच्चों में डायबिटीज बढ़ रही है, पर हाल के वर्षो में देखा गया है कि महिलाओं में भी डायबटीज की बीमारी तेजी से बढ रही है। खास कर प्रोफेशन महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
उनका कहना है कि डायबिटीज पीड़ित लोग नब्बे प्रतिशत एलोपैथ की दवाओं का तो सेवन करते है आैर व्यायाम पर ध्यान नहीं देता है। उन्होंने बताया कि लापरवाही बरतने के कारण मरीजों में टाइप टू डायबिटीज होने पर मोटापा तो बढ़ता ही है साथ ही आंखों, किडनी भी प्रभावित होती है। डायबिटीज को साइलेंट किलर भी क हा जाता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी विशेषज्ञ की देखरेख में मंडूक आसन,शिशांक आसन, गौमुख आसन, अध्र्यमत्सेन आसन किया जाए तो डायबिटीज पर किसी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीस होने के बाद दवाओं के सेवन के साथ ही खान-पान में फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही समय निकाल वॉक करने के साथ शारीरिक क्षमता के अनुसार हल्का फुल्का व्यायाम भी किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि डायबिटीज के मरीजों को नियमित जांच भी आवश्यक है। इसके अलावा डाक्टर की सलाह पर अन्य जांच भी समय- समय पर कराते रहना चाहिए।