लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एक और डायलिसिस यूनिट लगाने की तैयारी शुरूआत में ही झटका लगना शुरु हो गया है। पीपीपी मॉडल के तहत चलाने के लिए नयी डायलिसिस यूनिट में कोई भी बड़ी कम्पनी ने अभी तक जागरूकता नहीं दिखायी है। बताते है कि इस नयी यूनिट में लगभग दस नयी तकनीक की डायिलसिस मशीनें लगाने का प्रस्ताव है। इसकी दो बार के टेंडर में सिर्फ एक कंपनी शामिल हुई है। अब तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया की जा रही है।
केजीएमयू प्रशासन ने एक नयी डायलिसिस यूनिट लगाने के लिए के प्रस्ताव बनाया है। इसके तहत दो बार टेंडर की प्रक्रिया हो चुकी है, लेकिन सिर्फ एक-एक कंपनी ही टेंडर में आ रही है। ऐसी स्थिति में केजीएमयू प्रशासनिक अधिकारी परेशान हो गये है। अब वह इस तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया करने जा रहे है।
बताते है कि केजीएमयू प्रशासन का शताब्दी अस्पताल में लगी डायलिसिस यूनिट में भुगतान के मुद्दे पर विवाद होने पर बड़ी कम्पनियां पीपीपी मॉडल के तर्ज पर यूनिट में सहयोग करने से हिचक रही है। अगर तीसरी बार भी एक ही कम्पनी टेंडर डालती है। तो बैठक करके निर्णय लिया जाएगा। बताया जाता है कि इस नयी यूनिट में केजीएमयू का एक वरिष्ठ डाक्टर अपनी परिचित की कम्पनी को जोड़ना चाहता है। अन्य बड़ी कम्पनी भुगतान को लेकर उठे विवाद के कारण आने में कतरा रही है।
बताते चले कि पीपीपीमाडल पर चल रही यूनिट में अक्टूबर माह मेंं कंपनी और केजीएमयू प्रशासन के बीच विवाद हो गया था। केजीएमयू प्रशासन पर कंपनी का बकाया करीब 60लाख हो गया था। ऐसे में कंपनी ने डायलिसिस बंद कर दिया था। उसी वक्त केजीएमयू प्रशासन ने नई यूनिट लगाने की कवायद शुरू कर दिया था।
केजीएमयू के सीएमएस डा. एस एन शंखवार का कहना है कि दो बार की निविदा में एक ही कंपनी ने टेंडर डाला था। इस वजह से तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यह पीपीपी माडल पर होगी। इससे मरीजों काकाफी फायदा मिलेगा।
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