लखनऊ। बदलती जीवनशैली तथा जीवन शैली जनित रोगों जैसे डायबिटीज व हाइपरटेंशन रेटिना पर दुष्भाव डाल कर दृष्टि को जोखिम बढा रहे है। यह जानकारी विट्रियो रेटिनल विशेषज्ञ सर्जन डा. दीपेन्द्र वी सिंह ने पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा रेटिना बीमारी की पहचान कर इलाज करके नियमित देखरेख कर ठीक किया जा सकता है। डा. सिंह ने इससे पहले राजधानी के आस-पास क्षेत्रों से आये मरीजो की जांच करके परामर्श भी दिया।
अलीगंज स्थित आई क्यू अस्पताल में डा. दीपेन्द्र सिंह ने बताया कि रेटिना आंख की भीतरी परत होती है। जो कि रोशनी के प्रति संवेदनशील होता है। रेटिना पर भी छवियां बनती है आैर फिर दिमाग में पहुंचती है। समय पर रेटिना की समस्या को पहचान करके अंधेपन से रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि बीमारी की पहचान के बाद नियमित देखरेख से समस्या का निदान किया जा सकता है।
आने वाले वर्षो में डायबिटीज व हाइपरटेंशन रेटिना के मरीज तेजी से बढ़ेगे –
उन्होंने बताया कि आंखों में किसी भी प्रकार की बीमारी को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। डा. सिंह ने बताया कि आजकल बदलती जीवनशैली तथा जीवन शैली जनित रोगों जैसे डायबिटीज व हाइपरटेंशन रेटिना पर दुष्भाव डाल कर दृष्टि को जोखिम बढा रहे है। उन्होंने बताया कि इन रोगों का समय पर ध्यान न देने पर मरीज बढ़ेग आैर यह व्यापक रूप ले लेगा। डा. सिंह ने बताया कि आने वाले वर्षो में डायबिटीज व हाइपरटेंशन रेटिना के मरीज तेजी से बढ़ेगे। इन बीमारियों का इलाज समय आैर विशेषज्ञ डाक्टरों के अलावा संसाधन युक्त अस्पताल में ही इलाज व सर्जरी कराना चाहिए। वह अब तक 10,000 से ज्यादा विट्रियोस सर्जरी कर चुके है आैर विटियोरेटिनल के साथ ही रेटिना की बीमारियों के विशेषज्ञ भी है।