लखनऊ । घुटना प्रत्यारोपण के लिए नई चिकित्सा तकनीक काफी कारगर साबित हो रही है। सर्जरी कराने वाले मरीज को ऑपरेशन के बाद जल्द से जल्द बिना दर्द एवं तकलीफ के चलने-फिरने तथा सक्रिय जीवन व्यतीत करने में सक्षम हो सकेंगे। आर्थोएलाइन टेक्नोलॉजी नामक यह आधुनिक तकनीक लखनऊ में शुरू हो चुकी है। यह जानकारी रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हॉस्पिटल के ज्वाइंट रिप्लेसमेन्ट सर्जन डा. संजय कुमार श्रीवास्तव ने गुरुवार को हजरतगंज स्थित रायल कैफे में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक की मदद से कृत्रिम जोड़ों का बिल्कुल सही एलाइनमेंट होता है और इम्प्लांट को बिल्कुल सही जगह पर लगाया जा सकता है। इसके कारण मरीज जल्द से जल्द चलने-फिरने लगता है और शीघ्र ही वह दर्द से राहत पा लाता है। उन्होंने बताया कि परंपरागत कंप्यूटर आधारित सर्जरी में सर्जन को विशाल कंसोल में देखना होता है, जबकि इसके विपरीत यह नई तकनीक बहुत आसान है और यह सर्जन को सर्जरी को सफलता पूर्वक करने के लिए सही समय पर फीडबैक देती है।
ऑर्थएलाइन एक सरल, हथेली के आकार जैसे मोबाइल फोन का उपकरण है जो परिणाम में सुधार करता है, स्थिरता को बढ़ाता है, ऑपरेशन व अस्पताल में रहने के समय को कम करता है और रोगी के दर्द को कम करता है। दुनिया भर में किये गये अध्ययनों से पता चलता है कि ऑर्थएलाइन टेक्नोलॉजी की मदद से सर्जरी कराने वाले 94.9 प्रतिषत रोगियों में अन्य कम्प्यूटर असिस्टेड सर्जरी की तुलना में घुटने का सटीक अलाइनमेंट दो प्रतिशत ज्यादा हुआ है।