दिल्ली के काफी अस्पतालों के डॉक्टरों ने बंगाल हिंसा को लेकर किया विरोध प्रदर्शन

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न्यूज। दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने कोलकाता के अपने हड़ताली सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। यहां पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आैर आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल आैर डीडीयू अस्पताल के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया आैर विरोध प्रदर्शन किया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) आैर रेजिडेंट डॉक्टरों के विभिन्न संघों (आरडीए) के आह्वान पर शुक्रवार को दिल्ली के अधिकतर अस्पताल के डाक्टर पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में देशव्यापी आंदोलन में शामिल हुए थे।

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फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के अध्यक्ष सुमेध संदनशिव ने कहा कि कई अस्पताल शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार सरकार को 24 घंटे की अग्रिम सूचना नहीं दी थी। इसलिए, वे शनिवार को बंद का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों के आईसीयू आैर आपातकालीन सेवा चालू है। शहर के इन अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाह्र रोगी विभागों (ओपीडी), नियमित सर्जरी थिएटर सेवाओं आैर वार्ड निरीक्षण बंद है, जहां डॉक्टर शनिवार को सांकेतिक हड़ताल पर है।
इस बीच, दिल्ली स्थित एम्स आैर सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के आंदोलनकारी डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा न होने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आैर सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने कोलकाता में अपने सहयोगियों पर हमलों के विरोध में शुक्रवार को काम का बहिष्कार किया था। मरीज को देखते वक्त डॉक्टर विरोध स्वरूप हेलमेट पहने हुये थे आैर पट्टियाँ बांध रखी थीं। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर शाम को अस्पताल परिसर में कैंडल मार्च निकालेंगे।
विरोध का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा, उन्हें काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा आैर अस्पताल के ओपीडी में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा।  शनिवार को काम फिर से शुरू करने वाले एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के सदस्यों ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की मांगें 48 घंटे के भीतर पूरी नहीं की जाती हैं तो उन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज आैर अस्पताल में एक मरीज के परिजनों ने दो डॉक्टरों पर कथित तौर पर हमला कर दिया, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गये, जिसके बाद मंगलवार से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। मरीज की मौत अस्पताल में हो गई थी। हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में बैठक का ममता बनर्जी का आमंत्रण ठुकरा दिया आैर कहा कि मुख्यमंत्री को पहले माफी मांगनी होगी।

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