लखनऊ। त्वचा की दाद-खाज व खुजली की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए समय पर लक्षणों को पहचान कर बीमारी का इलाज शुरू करने की आवश्यकता होती है। अगर समय पर बीमारी का इलाज न किया जाए तो बीमारी बढ़ती जाती है। इससे इलाज जटिल हो होने लगता है।
यह परामर्श किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्किन रोग विभाग की प्रमुख डॉ. स्वास्तिका सुवीर्य ने शनिवार को दी।
डा. सुवीर्य केजीएमयू के कलाम सेंटर में स्किन रोग विभाग व इंडियन एकेडमी ऑफ डर्मालॉजिस्ट्स, वेनेरियोलॉजिस्ट्स एंड लेप्रोलॉजिस्ट्स द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। डॉ. सुवीर्य ने कहा कि बिना डॉक्टर के परामर्श के लिए दाद-खाज व खुजली की क्रीम लगाने व दवा खाने से बचना चाहिए। इससे डॉ. स्वास्तिका के मुताबिक इस तरह की क्रीम में स्टराइड होता है, जो बीमारी ठीक करने के बजाय स्किन को ज्यादा दिक्कत पहुंचा देती है।
डॉ. पारुल वर्मा ने बताया कि त्वचा रोग विभाग की ओपीडी में 32 प्रतिशत मरीज दाद-खाज व खुजली के आते हैं। क्लीनिकल भाषा में इसे टिनिया कहते हैं। देखा गया है कि ज्यादातर केस में व्यक्ति स्टराइड वाली क्रीम से स्किन को नुकसान पहुंचा चुका होता है। उन्होंने कहा कि स्किन रोगों की पहचान के लिए तमाम तरह की आधुनिक जांच की सुविधा केजीएमयू में मौजूद है। माइक्रोबायोलॉजी में भी त्वचा की दवाओं के असर की जांच की सुविधा भी है। जिन मरीजों पर दवाएं काम नहीं करती हैं, उनकी जांच की जाती है।
डॉ. सुजाय घोष ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को स्किन से जुड़ी बीमारी जल्दी हो जाती है। इस लिए सभी को रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखना चाहिए। प्रदेश में स्किन संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इस लिए लोगों को सावधान रहना चाहिए। देखा गया है कि बीमारी बढ़ने के पीछे मुख्य कारण नमी और संक्रमण भी होता है। कार्यक्रम में दिल्ली की डॉ. शिखा बंसल और कमान अस्पताल के डॉ. विकास पठानिया मौजूद रहे।