एसोसिएशन ऑफ ब्रेस्ट कैंसर ऑफ इंडिया की 12वीं कान्फ्रेंस
लखनऊ। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में बढ़ रहा है। सटीक इलाज के लिए ब्रेस्ट की समय- समय पर जांच कराना आवश्यक है। इससे जांच में यदि गांठ होने का अंदेशा लगे, तो तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. आनंद मिश्र ने दी।
कान्फ्रेंस का शुभारंभ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एसवीएस देव ने किया। 100 से अधिक नर्सों को कैंसर मरीज की देखभाल व इलाज के लिए प्रशिक्षित किया गया।
डा. मिश्रा शुक्रवार को एसोसिएशन ऑफ ब्रेस्ट सर्जन्स ऑफ इंडिया की 12वीं कान्फ्रेंस सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्सी प्रतिशत गांठ कैंसर नहीं होती है, फिर भी गांठ को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की तकनीक अत्याधुनिक होती जा रही है। अब सर्जरी के तुरंत बाद आंकोप्लास्टी कर सुधार हो सकता है।
डॉ. आनंद मिश्र ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी में संक्रमित भाग को हटा दिया जाता है। इससे ब्रोस्ट के साइज में बदलाव आ जाता है। जो महिलाओं को अवसाद होने लगता है। महिलाओं को अवसाद से बचाने के लिए ब्रोस्ट कैंसर का सर्जरी के बाद तुरंत आंकोप्लास्टी कर देनी चाहिए। इसमें शरीर के दूसरे हिस्सों से कोशिकाएं लेकर स्किन ग्राफटिंग तकनीक से ब्रोस्ट को दोबारा ठीक किया जाता है। इससे महिलाओं को ब्रोस्ट गंवाने के अहसास से बचाया जा सकता है।
कान्फ्रेंस के आयोजक सचिव डॉ. कुलरंजन सिंह ने कहा कि ज्यादातर कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी देने की जरूरत पड़ती है। इससे ब्रोस्ट के ट्यूमर के आकार को खत्म या फिर छोटा करने में मदद मिलती है। मरीज को कई राउंड कीमोथेरेपी देने की जरूरत पड़ती है। इसकी वजह से नसों को नुकसान पहुंचता है। नसों का सुरक्षित रखने के लिए खास तरह की मशीन कीमोपोर्ट छाती के ऊपरी भाग में ट्रांसप्लंाट की जाती है। इसके माध्यम से कीमोथेरेपी मरीज को दी जाती है। कीमोपोर्ट की देखभाल की बहुत जरूरत होती है।
डॉ. अक्षय आनंद ने बताया कि कान्फ्रेंस में देश भर के करीब 500 ब्रोस्ट कैंसर सर्जन ने शिरकत की है। जो इलाज की आधुनिक तकनीक की जानकारी देंगे । कान्फ्रेंस का शुभारंभ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एसवीएस देव ने किया। 100 से अधिक नर्सों को कैंसर मरीज की देखभाल व इलाज के लिए प्रशिक्षित किया गया।