Kgmu: डाक्टर्स बोले अवकाश नहीं EL चाहिए

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में डॉक्टरों के गर्मियों के अवकाश का प्रकरण अब बड़ा मुद्दा बन गया है। चिविवि शिक्षक संघ ने अब इसके स्थान पर उपार्जित अवकाश देने की मांग की है। संघ ने कुलपति को पत्र सौंपकर नहीं ली छुट्ठी के स्थान पर ग्रीष्म और शीतकालीन अवकाश को उपार्जित अवकाश में जोड़ने की मांग की है।
संघ ने दिये गये ज्ञापन में कार्य परिषद के निर्णय और कुलसचिव के पत्र का संज्ञान लेने को कहा गया है। बताते चले कि कोरोना काल में डाक्टरों ने कोई अवकाश न लेकर इलाज करने में जुटे रहे थे। इसको देखते हुए कार्य परिषद ने उन छुट्टियों को उपार्जित अवकाश के रूप में देने का फैसला किया था, परन्तु अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। संघ के द्वारा इसलिए इसे व्यवहार में लाने की मांग की जा रही है।

 

 

 

 

 

मेडिकल कॉलेज के रूप मे स्थापित हुए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अन्य शिक्षण संस्थानों की तरह 30 दिन के ग्रीष्मकालीन और 15 दिन के शीतकालीन अवकाश दिया जाता है। चिकित्सक शिक्षक इस अवधि में बारी-बारी से अवकाश पर जाते हैं। बताया जाता है कि काफी चिकित्सक शिक्षक तो बाहर जाते ही नहीं हैं पर अवकाश की अनिवार्यता होने के कारण अवकाश पर रहते हैं। इस दौरान चिकित्सा व्यवस्था बदहाल रहती है। ओपीडी के अलावा सर्जरी की हालत बदहाल हो जाती है। मरीज इस एक अवधि में अपने निर्धारित डॉक्टर से परामर्श नहीं ले पाता है वहीं दूसरी ओर सर्जरी भी कम हो जाती है। कई प्रकरण में तो एनेस्थीसिया डॉक्टरों के अवकाश पर होने के कारण अन्य डॉक्टर सर्जरी तक समय पर नहीं कर पाते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

इन सब प्रकरण को देखते चिकित्सक शिक्षक संघ ने ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश के स्थान पर उपार्जित अवकाश की मांग उठाई है। अगर जानकारों का कहना है कि ग्रीष्म और शीतकालीन अवकाश के स्थान पर उपार्जित अवकाश की व्यवस्था करने के लिए कार्य परिषद से प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद शासन को सूचना देनी होगी। इसके आधार पर शासन यह व्यवस्था कर सकता है। ऐसा होने पर चिकित्सकों को भी अन्य राज्य कर्मियों की तरह उपार्जित अवकाश का लाभ मिलने लगेगा।

 

 

 

 

 

कुलपति ले. जनरल डा. विपिन पुरी का कहना है कि ग्रीष्म और शीतकालीन अवकाश के स्थान पर उपार्जित अवकाश की व्यवस्था करने का प्रस्ताव अभी नही मिला है। अगर चिकित्सक शिक्षकों की ऐसी मांग होती है तो उसे कार्य परिषद में रखा जा सकता है। इस तरह के निर्णय कार्य परिषद में सर्व सहमति से होते हैं।

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