नया शोध
News । रक्तदान को जिंदगी बचाने वाला कार्य माना जाता है लेकिन क्या रक्तदान करने से दाता को भी लाभ हो सकता है?
लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टिट्यूट के नए शोध के अनुसार, बार-बार रक्तदान करने वाले लोगों में सूक्ष्म आनुवंशिक परिवर्तन हो सकते हैं जिससे रक्त कैंसर होने का जोखिम कम हो सकता है। इसके साथ ही अनेक प्रमाण हैं कि नियमित रक्तदान से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ हैं।
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढती है रक्त बनाने वाली हमारी स्टेम कोशिकाओं में स्वाभाविक रूप से उत्परिवर्तन होते हैं, इस प्रक्रिया को ‘क्लोनल हेमेटोपोइसिस” ??कहते हैं। इनमें से कुछ उत्परिवर्तन ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों के जोखिम को बढाते हैं।
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हालांकि, फ्रांसिस क्रिक इंस्टिट्यूट के नए अध्ययन ने बार-बार रक्तदान करने वालों में एक दिलचस्प अंतर की पहचान की है।
अध्ययन में 60-70 वर्ष के स्वस्थ पुरुष दाताओं के दो समूहों की तुलना की गई। एक समूह ने 40 वर्षों तक साल में तीन बार रक्तदान किया था , पालन जबकि दूसरे ने कुल मिलाकर केवल पांच बार रक्तदान किया था।
दोनों समूहों में आनुवंशिक उत्परिवर्तनों की संख्या समान थी लेकिन उनकी प्रकृति भिन्न थी। बार-बार रक्तदान करने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोगों में उत्परिवर्तन का एक विशेष वर्ग था जो आम तौर पर कैंसर से जुड़ा नहीं था।
ऐसा माना जाता है कि नियमित रक्तदान शरीर को ताजा रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे स्टेम कोशिकाओं के आनुवंशिक परिदृश्य में संभावित रूप से लाभकारी परिवर्तन होता है।
जब भी कोई व्यक्ति रक्तदान करता है, तो शरीर कम हुई रक्त कोशिकाओं को बदलने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर देता है, जिससे अस्थि मज्जा नयी रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए सक्रिय होती है। यह प्राकृतिक नवीनीकरण प्रक्रिया समय के साथ स्वस्थ, अधिक लचीली रक्त कोशिकाओं में योगदान दे सकती है।
कुछ साक्ष्य में तो रक्तदान से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार हो सकता है, जो संभावित रूप से टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में भूमिका निभा सकता है। हालांकि इस दिशा में अभी शोध जारी है।
कई वर्षों से वैज्ञानिक रक्तदान आैर हृदय की सेहत के बीच संबंध के बारे में अनुमान लगाते रहे हैं। हृदय रोग के मुख्य कारकों में से एक है रक्त की चिपचिपाहट – रक्त कितना गाढा या पतला है।
जब रक्त बहुत गाढा होता है तो इसके प्रवाह में थोड़ी अड़चन आती है जिससे थक्के जमने, उच्च रक्तचाप आैर स्ट्रोक का खतरा बढ जाता है। नियमित रक्तदान से रक्त की चिपचिपाहट कम करने में मदद मिलती है, जिससे हृदय के लिए इसे पंप करना आसान हो जाता है आैर हृदय संबंधी जटिलताओं का जोखिम कम हो जाता है।
रक्तदाताओं को शायद यह एहसास न हो लेकिन हर बार जब वे रक्तदान करते हैं तो उनकी छोटी सी स्वास्थ्य जांच की जाती है। रक्तदान से पहले रक्तचाप, हीमोग्लोबिन आैर नाड़ी की जांच की जाती है आैर कुछ मामलों में, संक्रामक रोगों की जांच भी की जाती है।
हालांकि यह नियमित जांच का विकल्प नहीं है, लेकिन इससे प्रारंभिक तौर पर सेहत के बारे में जानकारी मिल जाती ।
रक्तदाताओं को सख्त पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। पुरानी बीमारियों, कुछ संक्रमणों या कैंसर से पीड़ित रह चुके लोगों को आमतौर पर रक्तदान करने की अनुमति नहीं होती है। इसका मतलब यह है कि जो लोग नियमित रूप से रक्तदान करते हैं, वे आम लोगों की तुलना में अधिक स्वस्थ हो सकते हैं।
रक्तदान से सीधे तौर पर स्वास्थ्य को लाभ मिलता है या नहीं, लेकिन दूसरों पर इसके जीवनरक्षक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।