लखनऊ। सहादतगंज की अंकिता सिंह की 28 साल में शादी हुई। उनकी जन्म कुंडली मिलाई गई…बाकी सारी रस्में हुईं। एक साल बाद गर्भवती हुई, तो उनका हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम था। उन्हें आयरन की गोली और इंजेक्शन देने पड़े, तब कहीं जाकर उनका हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ा।
कमोबेश अंकिता जैसी हजारों महिलाएं हैं, जिनकी शादी के वक्त जन्म कुंडली तो मिलाई जाती है और तमाम तरह की अन्य रस्में होती हैं, लेकिन हीमोग्लोबिन जांचने के बारे में नहीं सोचा जाता। जब उन्हें ब्लड की जरूरत पड़ती है तो उनके परिवारवाले जगह-जगह ब्लड तलाशने के लिए परेशान होते हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 15 से 49 साल आयु वर्ग की 50.4 प्रतिशत महिलाएं ब्लड की कमी से ग्रसित हैं। गर्भवती महिलाओं के केस में ये आंकड़ा 45.9 फीसदी है। इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के एनीमिक होने के बाद इसकी जरूरत प्रबल हो जाती है कि हम शादी करने के पहले अपनी लाडली का हीमोग्लोबिन भी टेस्ट कराएं, ताकि वक्त रहते उसका इलाज किया जा सके। केजीएमयू के हेमाटोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ ए.के. त्रिपाठी के मुताबिक समाज में यह जागरूकता आ जाए तो प्रसव के वक्त आने वाली समस्याएं खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि रक्तदान सभी को करना चाहिए। इसमें कोई नुकसान नहीं है बल्कि फायदे ही फायदे हैं।
उन्होंने बताया कि शादी के पहले अगर हर युवती का हीमोग्लोबिन और आरएच फैक्टर जांच लिया जाए तो उसकी नई जिंदगी के लिए बहुत मुफीद होगा। गर्भावस्था में अगर महिला आरएच नेगेटिव होती है और उसका बच्चा आरएच पाजिटिव होता है, तो कई तरह के दिक्कतें पैदा हो जाते हैं।
किन कंडीशन में नहीं कर सकते रक्तदान
– कोई गंभीर बीमारी या सर्जरी हुई हो
– दो रक्तदान के बीच कम से कम तीन महीने का अंतर हो
– डेंगू, चिकनगुनिया होने पर छह माह तक रक्तदान नहीं
– एक साल के अंदर तक एंटीरैबीज या हेपाटाइटिस सी का इलाज हुआ हो तो
– टैटू बनवाने के एक साल तक
किन बीमारियों में नहीं कर सकते रक्तदान
दिल की बीमारी, कैंसर, अस्थमा, लिवर, किडनी, स्किन की बीमारी, डायबिटीज, थायराइड, पीलिया, मलेरिया, हेपेटाइटिस और एचआईवी पाजिटिव होने पर