लखनऊ। टीबी की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से बड़े-बड़े कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। जनजागरूकता से लेकर बीमारी के इलाज के लिए आधुनिक उपकरणों का इंतजाम किया जा रहा है। वहीं राजधानी के अस्पतालों में अधिकारियों की मनमानी के चलते इन दिनों एमडीआर टीबी के गंभीर रोगी दूसरे मरीजों को जानलेवा संक्रमण बांटने का काम बखूबी कर रहे हैं। जोकि यह बताने के लिए काफी है कि स्वास्थ्य महकमें के जिम्मेदार अधिकारी योगी सरकार की टीबी मुक्त प्रदेश बनाने की मुहिम को कितनी गंभीर से ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने विश्व टीबी दिवस यानि 24 मार्च को प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राजधानी लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल और ठाकुरगंज स्थित राजकीय संयुक्त चिकित्सालय सहित प्रदेश में65 जिलों में सीबीनेट जांच की सुविधा का शुभारंभ किया। ताकि टीबी के गंभीर मरीजों की उनके घर के निकट उच्च गुणवत्तापूर्ण जांच की सुविधा मिल सके। मुख्यमंत्री की अपेक्षाओं को ताक पर रखकर अधिकरयों ने आरएनटीसीपी प्र्रोग्राम के तहत अस्पताल परिसरों में मानकों को दरकिनार करते हुए सीवीनेट की जांच के केंद्र शुरू करा दिए हैं।जिसकारण सीवीनेट की जांच के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों से दूसरे पीड़ितों तथा निकट से गुजरने वाले लोगों में भी एमडीआर टीबी के संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सिविल अस्पताल में मौजूद सीवीनेट जांच पहुंचने वाले मरीजों को चिकित्सालय परिसर स्थित प्रथम तल पर पैथालॉजी के बाहर पहले से मौजूद मरीज व उनके तीमारदारों के सम्पर्क से होकर गुजरना पड़ रहा है।जिसकी वजह अस्पताल की पैथालॉजी पहुंचने वाले मरीज व दूसरे लोगों में एमडीआर टीबी के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी टीबी की रोकथाम करने के बजाए अनदेखी कर टीबी के रोगियों की संख्या बढ़ाने में सहयोगी की भूमिका में दिख रहे हैं।
प्रदेश में आठ लाख टीबी के मरीज- स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के प्रदेश में आठ लाख टीबी के रोगी मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन पांच हजार मरीज टीबी का शिकार हो रहे हैं। टीबी के विभिन्न प्रकार में एमडीआर टीबी सबसे घातक मानी गई है। एमडीआर टीबी रोगी तेजी से फैलता है और दूसरे व्यक्ति को बहुत दूर तक संक्रमित करता है।
सीबी नेट जांच क्या है ?
सीबी नेट मशीन से टीबी के उन मरीजों की जांच की जाती है,जिनकी बीमारी बीच में इलाज छोड़ देने की वजह से गंभीर रूप ले चुकी है। सीबीनेट मशीन से दो घंटा 1० मिनट में एमडीआर टीबी के जीवाणुओं की सही जांच संभव है।
मडीआर मरीज का संक्रमण खांसने पर ही दूसरे मरीज को संक्रमित करता है। मरीज को सीबीनट की जांच के लिए एचएबी स्केनिंग की जांच के बाद सबकुछ बताकर भेजा जाता है।
-डॉ. एके सिंह, सीएमएस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल
एमडीआर टीबी का संक्रमण खांसने पर दूसरे को संक्रमित करता है। सीबीनेट जांच के लिए मरीज को केंद्र पर संक्रमण से बचाव की जानकारी देकर भेजा रहा है।
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