लखनऊ। माइग्रेन एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है, जिसका सामना हर महीने लगभग 30 प्रतिशत वयस्क 15 दिन या उससे भी अधिक समय तक करते हैं। इससे 1.7 प्रतिशत से लेकर 4 प्रतिशत आबादी प्रभावित होती है। एक अनुमान से पता चलता है कि खराब स्वास्थ्य में माइग्रेन का योगदान 4.9 प्रतिशत है।
ऐसा माना जाता है कि महिलाओं पर माइग्रेन का अधिक प्रभाव पड़ता है।
एम.वी. रमण ने बताया कि माइग्रेन को लेकर जागरूकता न सिर्फ महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के साथ ही प्रसव के समय में माइग्रेन का प्रबंधन करने और माइग्रेन एवं सिरदर्द के अंतर को पहचाने में भी मदद करती है। मरीजों में नेरिवियोर कारगर है, जो कि चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित है।
नेरिवियोर क्लीनिकली काफी प्रभावी और सुरक्षित है। ऐसे व्यक्ति जिनका अधिक दवा लेने से सर दर्द हो जाता हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि नेरिवियोर से कोई नुकसान नहीं होता और इसका बार-बार इस्तेमाल भी सुरक्षित है।
नेरिवियोर माइग्रेन के दर्द को कम करने और माइग्रेन के दिनों को घटाने में ही नहीं, बल्कि माइग्रेन से जुड़े मिचली, उल्टी जैसे लक्षणों को भी कम करने में प्रभावी साबित हुई है। इसके साइड इफेक्ट्स की चिंता भी नहीं करनी पड़ती। ये खासकर उन मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है जो माइग्रेन की रोकथाम का इलाज चाहते है।