लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में जन्मजात बीमारियों के निशुल्क चिकित्सा की सुविधा मौजूद है। एनएचएम की राष्ट्रीय बाल स्वाथ्य गारंटी योजना के तहत बच्चों को इलाज दिया जा रहा है। फिर भी लोगों में अभी जागरुकता की कमी है।
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यही कारण है कि अभिभावक जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों को अस्पताल समय पर इलाज के लिए समय पर लेकर पहुंचते हैं। यदि समय पर इलाज किया जाए तो बीमारी से आसानी से ठीक किया जा सकता है। यह बात केजीएमयू बाल रोग विभाग की प्रमुख डॉ. माला कुमार ने बुधवार को बाल रोग विभाग की ओपीडी में नेशनल बर्थ डिफेक्ट अवेयरनेस मंथ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
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डॉ. माला कुमार ने बताया कि बहुत से बच्चों को जन्म से सुनाई देने में दिक्कत होती है। समय पर बीमारी की सही पहचान कर इलाज हो सकता है। इसी प्रकार गर्भवस्था में महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर फोलिक एसिड दवाओं का सेवन करने में लापरवाही बरती है। इसके कारण जन्म के समय बच्चे की स्पाइन में फोड़ा निकल आता है। कई बार बच्चों का सिर सामान्य से बड़ा होता है। जो उम्र के साथ बढ़ता है। कटे होंठ व तालू के साथ भी बहुत से बच्चे जन्म लेते हैं। इन बच्चों का समय पर इलाज व ऑपरेशन जरूरी होता है। इससे बच्चों को भविष्य की तमाम दिक्कतों से बचाया जा सकता है।
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बाल रोग विभाग की डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। जन्म के बाद समय-समय पर डॉक्टर से जरूर मिलें। ताकि समय पर बीमारियों की पहचान कर इलाज उपलब्ध कराया जा सके। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. जेडी रावत ने बताया कि समय पर सर्जरी करके बच्चों को तमाम गंभीरियों से बचाया जा सकता है।