इस इलाज के चक्कर में 20%खराब कर लेते है किडनी

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किडनी स्वस्थ्य रखने का तरीका बताएगी पुस्तिका

 

 

 

 

 

 

लखनऊ । अगर दिक्कत हो तो शर्तिया इलाज के चक्कर में पड़ कर किडनी की बीमारी को न बढ़ायें। संजय गांधी स्नातकोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान 20 से प्रतिशत मरीज ऐसे आते है झोलाछाप डॉक्टर का शर्तिया इलाज के चक्कर में पड़ कर किडनी को और खराब कर लेते है। विश्व किडनी दिवस के मौके पर जागरूकता कार्यक्रम में विभाग के प्रमुख प्रो. नरायन प्रसाद ने सलाह दिया कि किडनी की परेशानी होने पर किसी भी विशेषज्ञ के पास ही इलाज लें किडनी खराबी के वह स्थिति में जिसमें सीरएम क्रिएटनिन बहुत अधिक बढ़ गया ऐसे स्थिति में चार से पांच दिन का इंतजार किडनी सहित शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित कर देता है। कुछ लोग किडनी की बीमारी से इन इलाजों से ठीक हो जाते है उनमें किडनी की ऐसी बीमारी होती है, जो सामान्य दवा से ठीक हो जाता है, लेकिन क्रानिक किडनी डिजीजी( सीकेडी) की स्थित में इससे इलाज संभव नहीं है। विभाग के डा. बृजेश यादव ने बताया कि शर्तिया इलाज दोने वाले स्टेरायड से मिलता जुलता प्राकृतिक स्टेरायड और एंटी आक्सीडेंट देते जिससे शुरू में कुछ फायदा होता है लेकिन बाद यह नुकसान करने लगता है किडनी में फाइब्रोसिस होने लगती है।

 

 

 

 

 

इस मौके पर निदेशक प्रो. आरके धीमन ने सभी के लिए गुर्दा स्वस्थ्य पुस्तिका का विमोचन किया जिसमें किडनी से बचाव की जानकारी हिंदी में सरल भाषा में दी गयी है। किडनी को स्वस्थ्य रखने के लिए कोशिश करें। संस्थान के रेडियोथिरेपी विभाग के प्रो. नीरज रस्तोगी, पैथोलाजिस्ट प्रो. मनोज जैन , एसोसिएशन आफ पैथोलाजिस्ट के डा. पीके गुप्ता ने जागरूकता अभियान में भाग लिया। पोस्टर प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।

 

लीगल इश्यू को लेकर चर्चा हुई जिसमें जस्टिस संजीव सचदेवा सहित कई लोगों ने भाग लिया कहा कि ऐसा इलाज जिसका मानकीकरण न हुआ हो ऐसे इलाज से यदि किसी किडनी के मरीज की परेशानी बढ़ी है या मौत हुई है तो वह इलाज देने वाले पर कानूनी कार्यवाई कर सकता है। कुछ बाथ टब डायलसिस , जडी –बूटी से इलाज का दावा करते है ।

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