लखनऊ। वीरागंना अवंती बाई महिला ( डफरिन) अस्पताल में मेंटरनल आईसीयू नहीं बनेगा। अस्पताल प्रशासन ने गंभीर मरीज के इलाज के लिए पांच बिस्तरों का जीवन रक्षक उपकरणों से सुसज्जति आईसीयू के निर्माण का प्रस्ताव दिया था। इसके बदले में हाईडेंपेंसी यूनिट को बना कर दिया जाएगा, लेकिन इसके संचालन के डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था खुद अस्पताल प्रशासन को करनी होगी। यह निर्णय सोमवार को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी, नेशनल हेल्थ मिशन निदेशक आलोक कुमार व अधिकारियों ने अस्पताल के निरीक्षण के दौरान लिए। इसके साथ ही प्रमुख सचिव ने अस्पताल प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये।
सुबह प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी के साथ नेशनल हेल्थ मिशन निदेशक तथा स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी डफरिन अस्पताल पहुंचे। यहां पर प्रमुख सचिव के साथ नेशनल हेल्थ मिशन निदेशक ने अस्पताल द्वारा दिये गये आईसीयू प्रस्ताव पर विचार विमर्श किया। अस्पताल प्रशासन ने पांच बिस्तरों का आईसीयू दिये जाने की मांग की थी। अस्पताल के लेबर रूम में अस्थायी एक बिस्तर का आईसीयू बना बताया जाता है। जहां पर किसी महिला की हालत गंभीर होने पर इलाज किया जाता है आैर हालत स्थिर होने पर रेफर कर दिया जाता है या इलाज किया जाता है। निरीक्षण में अधिकारियों ने कहा कि अभी आईसीयू की आवश्यकता नही है। इसके अलावा महिलाओं के हाई डिपेंडसी यूनिट को बनाने के लिए अनुमति दे दी है।
इस यूनिट का बना कर अस्पताल को सौप दिया जाएगा, लेकिन उसके बाद इसका संचालन करने के लिए डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ नही दिया जाएगा। इसके लिए अस्पताल के लोगों को ही लगाया जाएगा। इसके अलावा यह भी परामर्श दिया गया कि अगर कोई नर्स लगातार विशेष यूनिट में लगी है आैर गंभीर मरीजों का इलाज में सक्षम है तो उनका रैक अलग किया जाए। नर्सो में यह ध्यान रखा जाए जो कि प्रशिक्षित नर्स हो, उसकी योग्यता के अनुसार ही काम किया जाए।