लखनऊ। राजधानी के प्रमुख अस्पतालों को ई-हास्पिटल बनाने की कवायद काफी सुस्त हो गयी है। बलरामपुर अस्पताल की पैथालॉजी में एक माह से बार कोडिंग का काम शुरू हो गया, लेकिन इंटरनेट कनेक्शन नहीं हो पाया। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल भी सुस्तगति की शिकार हो गया है। करीब सौ से अधिक कम्प्यूटर लगाए जाने हैं, लेकिन अभी काम कागजों पर चल रहा है। गोमतीनगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय की पैथालॉजी में नयी मशीन की सिर्फ जगह चिह्नित की गयी है। दूसरी तरफ वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) की हालत संतोषजनक है, क्योंकि यहां पर पिछले तीन साल से आटो एनालाइचर तीन साल से खराब पड़ी थी, अब नयी मशीन आने से मरीजों को सहूलियत मिली है, लेकिन ई-हास्पिटल बनने में काफी समय लगेगा। डफरिन की नहीं ज्यादातर सरकारी अस्पताल वेबसाइट नहीं जुड़ पाए हैं।
जानकार बताते हैं कि जिस गति से काम चल रहा है कि उससे तो ई-हास्पिटल बनाने में काफी लम्बा समय लगेगा। ई-हास्पिटल बनने का मतलब है कि पेपर लेस वर्क होना। इंटरनेट के जरिए लोग अस्पताल की सभी सुविधा के बारे में जानकारी हांसिल कर सकेंगे। ओपीडी का पर्चा भी घर बैठे बनवा सकें। ई-हास्पिटल कब तक बनेगा, इस सवाल पर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आशुतोष दुबे ने बताया कि पूरी कोशिश है कि मार्च के मध्य तक ई-हास्पिटल की सुविधाएं मरीजों को मिलने लगें। ई-हास्पिटल की दिशा में पैथालॉजी में काफी कुछ कम हो चुका है। मरीजों को रिपोर्ट मैनुअल नहीं कम्प्युटराइज की जाती हैं। हास्पिटल की वेबसाइट, फेसबुक पेज बना हुआ है आैर कम्प्यूटर आते ही अन्य सुविधाएं भी शुरू हो जाएंगे। बलरामपुर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इंटरनेट कनेक्शन के लिए प्रस्ताव भेज चुके हैं।