लखनऊ। लोगों को बिना छाने यानी चोकरयुक्त आटे से ही रोटी को खाना चाहिए। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ प्रदान करने वाली हैं। यह चोकर स्वास्थ्य के अलावा बड़ी आंत व मलाशय के कैंसर के खतरे को 70 से 80 प्रतिशत तक कम करता है। यह परामर्श किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व रेडियोथेरेपी विभाग प्रमुख डॉ. एमएलबी भट्ट ने दी।
प्रो. भट्ट शनिवार को रेडियोथेरेपी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। डॉ.भट्ट ने कहा कि कोलोरेक्ट्रल कैंसर यानी बड़ी आंत व मलाशय के कैंसर के केस ज्यादा बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण बिना वजह फास्ट-फूड, चाउमीन, पिज्जा, बर्गर, मैदा समेत दूसरे खाद्य पदार्थ हैं। यह सब मैदे से तैयार होता है, जो आंतों में जाकर चिपकता है। यह सब फास्ट फूड आसानी से पचते भी नहीं है आैर पेट में गड़बड़ी करने लगते है।
उन्होंने कहा कि अगर लंबे समय तक यह समस्या बनी रहे तो आंतों का कैंसर होने की संभावना हो जाती है। लगातार कब्ज बना रहने से मलाशय का कैंसर भी हो सकता है। डॉ. भट्ट ने कहा कि आंतों के कैंसर से बचने के लिए चोकरयुक्त आटे से बनी रोटियां खाएं। इसके अलावा दैनिक आहार में मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, चना आदि का सेवन भी करें। मौसमी व स्थानीय फलों का सेवन करें।
पीजीआई रेडियोथेरेपी विभाग के प्रमुख डॉ. शालीन कुमार ने बताया कि हमेशा फ्रेश भोजन करना चाहिए। क्योंकि कुछ घंटे पहले बना भोजन खराब हो जाता है। फ्रिज में रखा भोजन खाने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूरोप में लोग रेड मीट का सेवन अधिक करते हैं। जो कि आसानी से नहीं पच नहीं पाता है। लोग दो से तीन बाद शौच को जाते हैं। ऐसे में मीट पेट में सड़न पैदा करता है। जो आंतों के कैंसर के लिए जिम्मेदार है। फाइवर युक्त फल, सब्जियां व अनाज का सेवन लाभदायक है।
केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. अरूण चतुर्वेदी के मुताबिक बड़ी आंत और मलाशय का कैंसर पहले 40 से 50 साल की उम्र के बाद होता था। अब यह 20 से 30 वर्ष के युवाओं को चपेट में ले रही है। इसकी वजह फास्ट फूड का ज्यादा सेवन करना है। चाइनीज फूड के शौकीनों में बीमारी अधिक देखने को मिल रही है। डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि कैंसर के इलाज का तरीका बिलकुल बदल गया है। नई दवाएं व तकनीक आ गई हैं। जो बीमारी पर सीधे वार करता है। इम्यूनोथेरेपी से कैंसर का सटीक इलाज संभव हो गया है। डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि आयुष्मान योजना से गरीब मरीज भी इम्योनोथेरेपी करा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीमोथेरेपी के मुकाबले इम्योनोथेरेपी दवाएं करीब 10 गुना से अधिक महंगी है। दुष्प्रभाव कम है। लिहाज आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों को भी आधुनिक इलाज का लाभ मुहैया कराना आसान हो गया है।