लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में नेफ्रोलॉजी विभाग के बाद अब इंडोक्राइन विभाग में हार्मोनल डिजीज की बीमारी का इलाज कराने वाले मरीजों के इलाज पर संकट आ गया है। विभाग में एक मात्र क्लीनिकल इंडोक्राइनोलॉजी के एक मात्र डा. मधुकर मित्तल ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद अब यह विभाग बंदी के कगार पर पहुंच गया है। डा. मित्तल से इलाज कराने के लिए मरीजों की लाइन लगी रहती थी।
केजीएमयू में लगातार फैकल्टी के डाक्टर इस्तीफा दिये जा रहे हैं। अभी नेफ्रोलॉजी विभाग के डाक्टर के इस्तीफे के बाद अभी तक कोई नया डाक्टर नहीं मिल रहा है। इससे किडनी प्रत्यारोपण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इसके बाद अब क्लीनिकल इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के एक मात्र डा. मधुकर मित्तल ने इस्तीफा दे दिया है। यह अपने विभाग के इकलौते संकाय सदस्य थे। इसके बाद विभाग में ताला लटक सकता है। डा. मित्तल के इस्तीफे को अभी केजीएमयू प्रशासन ने स्वीकार नहीं किया है। बताया जाता है कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी डा. मित्तल को एक बार आैर विचार करने के लिए कह रहे है। इस विभाग की हर ओपीडी में आठ सौ से एक हजार मरीज पहुंचते रहे हैं। इससे इन मरीजों के इलाज पर संकट हो जाएगा। डा. मित्तल के इस्तीफा दिये जाने से केजीएमयू के डाक्टरों में हड़कम्प मच गया है।
केजीएमयू कुलसचिव डा. राजेश कुमार राय का कहना है कि डा. मधुकर मित्तल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। केजीएमयू प्रशासन के इस्तीफे पर विचार करेगा। उसके बाद उसे कार्यपरिषद में रखा जोगा। फिलहाल अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। बताते चले कि नेफ्रोलॉजी विभाग, सीवीटीएस सहित कई विभागों के लगभग छह डाक्टरों ने इस्तीफा दे चुके है।
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