गर्भ निरोधक दवा के जनक कार्ल जेरासी ने 1951 में मैक्सिको सिटी में उस शोध टीम की अगुआई की थी, जिसने जन्म को नियंत्रण करने में अहम भूमिका निभाने वाले नॉर्थिनड्रोन अवयव की खोज की। जो बाद में गर्भ निरोधक गोलियों के निर्माण में सहायक साबित हुए। इस खोज ने महिलाओं की जिंदगी में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिए हैं। अनचाहे गर्भ को रोकने और अपनी मर्जी से गर्भधारण करने की स्वतंत्रता से उनकी जीवनशैली में जबरदस्त बदलाव आया है।
अगर परिवार नियोजन के उपायों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया तो यह स्वास्थ्य को खतरा भी पहुंचा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि परिवार नियोजन के उपाय अपनाने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।
डिपोप्रोवेरा इंजेक्शन (डिम्पा) –
यह एस्ट्रोजन के इंजेक्शन हैं, जिससे कि तीन माह तक गर्भधारण से मुक्ति मिल जाती है। इस इंजेक्शन के कम से कम साइड इफेक्ट हैं, शुरुआत के कुछ दिन तक ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। इसका फेलियर रेट केवल एक फीसदी है।
नूवा रिंग –
यह नया गर्भ निरोधक है। यह एक प्रकार की इंटरायूटेराइन कान्ट्रासेप्टिव डिवाइस है। यह स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन का छल्ला होता है, जिसे कि महिलाएं योनि में पहनती हैं। इसे चिकित्सकीय परामर्श से लिया जा सकता है और महिलाएं खुद भी इस्तमाल कर सकती हैं। यह रिंग 21 दिन पहननी होती है, केवल माहवारी के समय नहीं पहनना होता है। शुरुआत में कुछ दिन इससे ब्लीडिंग हो सकती है। क्वीन मेरी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्प लता शंखवार ने बताया कि अभी यह डिवाइस यूपी में नहीं आई है, लेकिन जल्द ही मार्केट में मिलने लगेगी।
नसबंदी –
परिवार नियोजन का सबसे सुरक्षित उपाय नसबंदी माना जाता है। इसकी सफलता की दर 99 प्रतिशत मानी जाती है। इसके अलावा ओरल कांन्ट्रासेप्टिव पिल्स भी आती हैं, जिन्हें एक निर्धारित समय में लेकर अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। आजकल बाजार में कई लो डोज की ओरल कांन्ट्रासेप्टिव पिल्स भी मौजूद हैं, जिसके कम से कम साइड इफेक्ट होते हैं। डॉ. पुष्प लता शंखवार ने बताया कि कई इंटरा यूटेराइन डिवाइस और कॉपर-टी 38० ए सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध होती हैं।