एक कार्निया: दो जिंदगी में रोशनी

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाक्टर एक कॉर्निया से दो नेत्रहीनों की जिंदगी में उजाला कर रहे है। एक विशेष तकनीक से सर्जरी में अब तक 38 नेत्रहीन लोगों में कॉर्निया प्रत्यारोपित किया जा चुका है। केजीएमयू आई बैंक के प्रमुख डा. अरूण शर्मा का कहना है कि अभी तक एक कॉर्निया सिर्फ एक मरीज की आंख में प्रत्यारोपित हो रही है। इस विशेष तकनीक से कार्निया का इंतजार कर रहे लोगों में उम्मीद की नयी किरण फूटी है।
डा. शर्मा का कहना है कि आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लगभग दो लाख लोगों को जिंदगी में उजाला आने का इंतजार कर रहे है। लोग नेत्रदान के प्रति जागरूक होकर इन लोगों की जिदंगी को बदल सकते हैं। नेत्रदान करने को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति है। भ्रमित लोगों का मानना है कि नेत्रदान करने में पूरी आंख निकाली जाती है।

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जबकि लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि सिर्फ पुतली (कार्निया) निकाली जाती है आैर इसको निकालने में मात्र दस मिनट लगते हैं। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में जनवरी से अब तक कुल 450 मरीजों में कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जा चुका है। डॉ. शर्मा ने बताया कि कॉर्निया में पांच परत होती हैं। इनमें इपीथीलियम, बोमेन मैम्बरेन, स्टोरमा, डिसिमेंट मैम्बरेन और इंडोथीलियम परत होती है। अगर देखा जाए तो काफी संख्या ऐसे भी नेत्रहीन है, जिनमें कार्निया की एक परत में खराबी होती है। अधिक से अधिक नेत्रहीनों की जिंदगी में उजाला करने के लिए सर्जरी की नयी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। यहां पर अब तक 19 कॉर्निया 38 मरीजों में सफलतापूवर्क प्रत्यारोपित की जा चुकी है। डॉ. अरूण के मुताबिक कुछ मरीजों के अनुसार ही कॉर्निया की परत प्रत्यारोपित की जा रही है। जरूरतमंद मरीजों की आंखों की जांच कर पहले खराब परत का पता लगाया जाता है। जो कॉर्निया दान में मिलती है, उसमें स्टोरमा की ऊपरी व निचली परत की जरूरतमंदों में प्रत्यारोपित की जा रही है। जल्द ही इस सर्जरी को आैर विस्तार देने की तैयारी चल रही है।

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