लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में इमरजेन्सी मेडिसिन विभाग में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय इमरजेन्सी मेडिसिन दिवस समारोह मनाया गया। समारोह में इमरजेन्सी मेडिसिन के महत्व पर चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने देश भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेन्सी मेडिसिन विभाग होना अनिवार्य कर दिया है।
समारोह में कुलपति ने कहा कि मृत्यु दर को कम करने के लिए इमरजेन्सी व्यवस्था को अपडेट करते हुए व्यापक परिवर्तन करना होगा। इसके लिए प्रशिक्षित डाक्टर व स्टाफ की आवश्यकता होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इमरजेन्सी अस्पताल का चेहरा है और मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मिलना चाहिए। कुलपति डा. पुरी ने कहा कि ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग लगातार गंभीर मरीजो के इलाज में तत्पर रहता है। मरीजों का उच्चस्तरीय इलाज मुहैंया कराया जा रहा है। जल्द ही इसको आैर विस्तार करने की योजना है।
विभागाध्यक्ष प्रो. हैदर अब्बास ने कहा कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज में गोल्डेन ऑवर महत्वपूर्ण ंहोता है। इस दौरान सही इलाज करके कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर गोल्डन ऑवर या प्लेटिनम मिनट के भीतर उपचार देकर काफी मरीजों की जान बचाई जा रही है। इमरजेन्सी देखभाल सड़क के किनारे से शुरू होती है। क्योंकि इमरजेन्सी मामलों में परिवार के सदस्य या जनता पहले प्रतिक्रियाकर्ता होते हैं। इसके लिए उनका भी जागरूक होना आवश्यक होता है। उसके बाद इमरजेन्सी प्रणाली यानी एम्बुलेंस और पैरामेडिक्स और फिर अस्पताल आता है।
उन्होंने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन विभाग रिससिटेटिव इमरजेंसी मेडिसिन में पीडीसीसी कोर्स शुरू कर रहा है। विभाग में छह वेंटिलेटर हैं और इसे बढ़ाया जाएगा। विभाग ने कई पेपर प्रकाशित किए हैं। डॉ सुनील आहूजा ने बताया कि यह शाखा बहुत पुरानी नहीं है और विकासशील देशों में अभी भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि विदेशों और भारत के विशेषज्ञों की बैठक से शोध के अधिक अवसर पैदा होंगे। डॉ. प्रेमराज सिंह ने बताया और इमरजेन्सी मेडिसिन के बारे में मेडिकल छात्रों में रुचि पैदा करने के लिए चर्चा की। कार्यक्रम में सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन इंडिया, यूपी के अध्यक्ष डॉ सुजीत सिंह, प्रो. आशिमा शर्मा, निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद ने भाग लिया।