Kgmu और लोहिया संस्थान में ब्रेन डेड अंगदान करने वाले का इलाज खर्च होगा माफ

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लखनऊ ।संजय गांधी पीजीआई में ब्रेन डेड डिक्लेरेशन पर सोटो द्वारा आयोजित सेमिनार में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि केजीएमयू और लोहिया संस्थान में अंगदान करने वाले परिवार के इलाज का खर्च नहीं लिया जाएगा। एसजीपीजीआई में यह पहले से लागू है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह प्रदेश में मृतक अंग दान बढ़ाने के लिए दाता परिवार के प्रोत्साहन, अस्पताल बुनियादी ढांचे में सुधार और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के प्रशिक्षण पर जोर दिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन ने बताया कि अंगदान को बढ़ावा देने के लिए आगरा, गोरखपुर मेरठ, इलाहाबाद , कानपुर और झांसी मेडिकल कॉलेज में ट्रांसप्लांट नोडल ऑफिसर की तैनाती सरकार ने कर दी है। केजीएमयू और लोहिया के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर को एसजीपीजीआई में प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रो नारायण प्रसाद ने अंग आवंटन में नैतिक और चिकित्सकीय मानदंडों के पालन के बारे में बताया। यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो संजय कुमार सुरेका ने अंग प्राप्ति प्रत्यारोपण के ऑपरेशन थियेटर के तैयारी के बारे में बताया। निदेशक प्रो.आरके धीमन ने कहा कि अंगदान को बढावा देने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

उएसजीपीजीआई के किडनी रोग विशेषज्ञ प्रो. मानस रंजन पटेल ने बताया कि किसी को यदि कैंसर रहा हो और पांच साल से कोई परेशानी नहीं है। एक्सीडेंट के कारण ब्रेन डेड हो गया है तो वह भी अंगदान कर सकता है। देने वाले की किडनी बहुत अच्छी नहीं है तो भी प्रत्यारोपित करना चाहिए इससे डायलिसिस से व्यक्ति को बचाता है। समय का ध्यान रखना जरूरी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

आज की जागरूकता 10 साल बाद आएगी काम
दैनिक जागरण के स्टेट हेड आशुतोष शुक्ला ने पैनल चर्चा में कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूली छात्रों को जागरूक करना होगा। यह पीढ़ी जब 10 साल बाद लोगों को जागरूक करेगी और खुद जागरूक होगी। तमाम तरह की सामाजिक और धार्मिक मान्यता के कारण लोग ब्रेन डेड का अंगदान नहीं करते है। इसमें अभी समय लगेगा। सीवीटीएस विभाग के प्रमुख प्रो, एसके अग्रवाल ने आयुष्मान भारत योजना में ट्रांसप्लांट को शामिल करने पर जोर दिया। यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. एमएस अंसारी ने ट्रांसप्लांट में खर्च को कम करने पर जोर दिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

क्या है ब्रेन डेथ
मस्तिष्क और मस्तिष्क स्टेम की कार्यक्षमता पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। मस्तिष्क में कोई गतिविधि नहीं होती है और मस्तिष्क की गतिविधि वापस नहीं आएगी। इसे मृत्यु की कानूनी और चिकित्सीय परिभाषा दोनों माना जाता है। रोगी यांत्रिक सहायता के बिना जीवित रहने में असमर्थ हो जाता है।
अंगदान के लिए यह हेल्पलाइन
की भी ब्रेन डेड का अंगदान करना चाहता है तो इस नंबर पर संपर्क कर सकता है

8004903155 और 1800114770

 

 

 

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