सूचना क्रांति के दम पर रोज रंग बदलती दुनिया में सोशल नेटवर्किंग साइटों ने हमें बहुत से नए रिश्ते दिए हैं। फेसबुक जैसी तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने दुनिया में रिश्तों की एक नई इबारत लिखी है। जीवन के हर स्तर पर इन नेटवर्किंग साइट्स का अहम रोल है। फिर बात चाहे दो दिलों को मिलाने की हो या फिर दुनिया भर में चल रहे आंदोलनों और क्रांतियों की। इन सबके बीच स्मार्टफोन पर हर पल उपलब्ध इंटरनेट ने फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर हर किसी की पहुंच को और भी आसान बना दिया। ऐसे में इनके साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं। एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में एक तिहाई रिश्ते सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से टूट रहे हैं। इसके साथ ही फेसबुक के कई और साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। कहीं कोई झूठी पहचान बताकर पैसे ठगने का प्रयास करता है तो कहीं कोई अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए फेसबुक को सहारा बनाता है।
लेकिन साथ में अपनों से उनकी दूरियां बढ़ती जा रही हैं –
फैमिली कोर्ट के रवीन्द्र सिंह के मुताबिक कई झगड़े तो महज इसलिए होते हैं कि पत्नी ने तलाक मांगा क्योंकि पति ने शादी के बाद मेरिटल स्टेटस चेंज नहीं किया। वहीं कुछ मामलों में तलाक की वजह हास्यास्पद है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों एक महिला ने तलाक के लिए अर्जी इसलिए दी क्योंकि उसका पति फेसबुक पर महिला मित्रों को एड कर रहा था। एक महिला ने इसलिए तलाक मांगा क्योंकि उसके पति को फेसबुक पर उसकी एक पूर्व गर्लफ्रेंड मिल गई थी। उन्होंने कहा कि फेसबुक के जरिए लोग दुनिया से तो जुड़ रहे हैं, लेकिन साथ में अपनों से उनकी दूरियां बढ़ती जा रही हैं। पति-पत्नी का रिश्ता बहुत नाजुक होता है। उनके बीच पड़ी छोटी सी अविश्वास की गांठ से परिवार के साथ-साथ बच्चे भी प्रभावित होते हैं।
गलतफहमी का जरिया बनता जा रहा है फेसबुक : पंकज तिवारी
रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है और इसमें गलतफहमी की गुंजाइश बहुत कम होती है, लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट गलतफहमी का एक बड़ा जरिया बनती जा रही है। फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से दुनिया तो मुठ्ठी में आ गई लेकिन रिश्तों में दरार पड़ने लगी। इन साइट्स की वजह से नौबत ये आई है कि पराये करीबी होने लगे हैं और करीबी पराये होने लगे हैं। फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पति-पत्नी के बीच अविश्वास पैदा करने का जरिया तो बन ही चुकी है साथ ही अब इसका कानूनी इस्तेमाल भी हो रहा है। इन साइट्स में साझा किए गए आपके विचार, आपकी तस्वीरें या फिर पसंद-नापसंद को कोर्ट में आपके खिलाफ बतौर सबूत पेश किया जा रहा है और इस आधार पर लोगों को तलाक भी मिल रहे हैं। कानूनी जानकारों का मानना है कि पहले जो काम जासूस करते थे अब वही काम फेसबुक जैसी साइट्स कर रही हैं यानि पार्टनर के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए अब जासूसों की नहीं बल्कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल हो रहा है।
फेसबुक पर ठगने वाली लड़कियों की है बाढ़ –
फेसबुक पर आजकल ठगी करने वाली लड़कियों की बाढ़ सी आई हुई है। इस काम में शामिल लड़कियां फेसबुक इस्तेमाल करने वाले अधिकांश उपभोक्ताओं के पास पहले रिक्वेस्ट भेजती हैं और फिर धीरे-धीरे मेलजोल बढ़ाने के काम में लग जाती हैं। ठीक-ठाक पहचान बन जाने के बाद ये लड़कियां अपनी किसी मजबूरी को बताकर आर्थिक मदद करने को कहती हैं। अधिकांश समझदार लोग इनके चंगुल से बच जाते हैं वहीं कई ऐसे भी है जो मजबूरी को ध्यान में रखकर आर्थिक मदद कर बैठते हैं।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे नमन मिश्रा ने बताया कि एक बार फेसबुक इस्तेमाल करते वक्त उन्हें भी इसी तरह की एक रिक्वेस्ट आई और उन्होंने उसे एक्सेप्ट कर उससे चैटिंग की लेकिन जैसे ही उसने अपनी मजबूरी बताकर आर्थिक मदद करने को कहा मैंने फौरन ही उसे डिलीट कर दिया।
गौरी और हिमांशु की दोस्ती भी फेसबुक से हुई थी –
हाल के दिनों में लखनऊ समेत पूरे देश को झकझोरने वाले गौरी हत्याकांड को आप अभी भूले नहीं होंगे। लखनऊ पुलिस ने गौरी हत्याकांड में जिस हिमांशु प्रजापति को मुख्य आरोपी बनाया है, उससे गौरी की दोस्ती फेसबुक के जरिए ही हुई थी। फेसबुक पर चैटिंग से शुरू हुआ सिलासिला गौरी की मौत पर खत्म हुआ। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों राजधानी के शहीद पथ पर गौरी की लाश कई टुकड़ों में मिली थी। राजधानी में एक लड़की की इतनी बेरहमी से की गई हत्या के बाद पुलिस-प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में मामले का खुलासा किया। जिसके बाद पता चला कि गौरी की हत्या फेसबुक के जरिए दोस्त बने हिमांशु ने ही की थी।
क्या कहते हैं लोग –
“वॉयस पब्लिकेशन्स के निदेशक व लेखक रोहित कुमार मीत कहते हैं कि सोशल साइट पर थोड़ी सी लापरवाही आपको कहां से कहां पहुंचा दे। इसका अंदाजा आपको भी नहीं होगा। यह प्रौद्योगिकी का युग है। यह अच्छी चीज है लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। फेसबुक पर दोस्त बनाना, प्यार करना और फिर रिश्ता तोड़ देना। यह सब ठीक नहीं है। इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अच्छी जानकारियों के इस्तेमाल तक सीमित रखना चाहिए और गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।”
“आईटी सेक्टर में काम कर रहे विनोद शर्मा कहते हैं कि हम व्हॉट्सऐप तथा फेसबुक के इस्तेमाल का विरोध करते हैं और इसकी निदा करते हैं। ये पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा दे रहे हैं और हम इसके खिलाफ हैं। तकनीक का दुरुपयोग किया जा रहा है और यह पढ़ने वाले बच्चों पर असर डाल रही है। हमें सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने का रास्ता तलाशना होगा।”