लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल में समय पर इलाज न मिलने पर प्रसूता ने दम तोड़ दिया। आरोप है कि परिजन रेजिडेंट डाक्टर व नर्स आपस में बात चीत करने में मशगूल थे। उन सभी ने लगातार इलाज करने की फरियाद की लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर प्रसूता ने दम तोड़ दिया। इस पर परिजनों ने हंगामा मचा दिया, उनका आरोप है कि मौत को व लापरवाही को छुपाने के लिए मौत के बाद इमरजेंसी कह कर कुछ दवा भी मंगा ली थी।
हरदोई रोड निवासी रेशमा के परिजनों ने बताया कि 13 दिसंबर को स्थानीय निजी अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी से शिशु को जन्म दिया। करीब तीन बजे प्रसूता को उलझन व घबराहट हुई तो वहां के डाक्टरों ने क्वीनमेरी अस्पताल रेफर कर दिया। देर शाम उसे क्वीनमेरी में भर्ती कराया गया आैर दूसरे दिन दोपहर से प्रसूता की हालत बिगड़ रही थी। पूरा दिन लेबर रूम में भर्ती रहने के बाद प्रसूता ने उसी दिन देर रात दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि प्रसूता को भर्ती करने के बाद इलाज नहीं दिया गया जिससे उसकी मौत हो गई। बहन शबनम ने बताया कि भर्ती करने के बाद दवाएं तो मंगवा ली,लेकिन कोई वरिष्ठ डाक्टर नहीं आया।
प्रसूता की बहन शबनम ने बताया कि दोपहर से बिगड़ती तबियत को देखने के लिए नहीं आया। देर शाम तक भी इलाज नहीं शुरु हो पाया था। इस बीच अचानक प्रसूता को तेज झटके आने लगे तो प्रसूता की बहन ने बताया कि मौजूद नर्स व रेजिडेंट डॉक्टर के पास पुहंची आैर तुरंत इलाज करने के लिए फरियाद करने लगी, लेकिन नर्स और रेजिडेंट डॉक्टर आपस में हंसी मजाक करती रहीं, कोई देखने तक नहीं गया। मौजूद गार्ड ने उसे वहां से बाहर निकलवा दिया गया। उसके बाद देर रात 12 बजे के करीब एक बार फिर दवाएं मंगवाई गईं। दवा लाने के बाद परिजन लेबर रूम के अंदर भर्ती प्रसूता रेशमा के पास गये तो उसका शरीर ठंडा पड़ा हुआ था। देखने के बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का कहना है कि दवा लाने के बाद नहीं दी गयी। बिस्तर पर सब पैक रखी हुई थी। गार्डो ने लगातार उनके साथ बदसलूकी भी की।
विभागाध्यक्ष डॉ. विनीता दास का कहना है कि इस समय आउट ऑफ स्टेशन हूं इसलिए मुझे मामले की जानकारी नहीं है। मुझे यह भी पता नहीं है कि किस डॉक्टर की ड्यूटी रही होगी। अस्पताल चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसपी जैसवार का कहना है कि इलाज में कोई लापरवाही नही बरती गयी। लिखित शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी।