लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जरी के विशेषज्ञ डा. दीपक ने रीढ़ की हड्डी की बीमारी सीवीजे (क्रेनियोवर्टिब्राल जंक्शन एनामली) से पीड़ित कल्पना की जटिल सर्जरी करके नयी जीवन दान दे दिया। सौ किलों से ज्यादा वजन वाले मरीज की सर्जरी में ने 3 डी प्रिंटर टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए स्पाइन में इप्लांट स्क्रू लगाए। डा. दीपक का दावा है कि 3डी प्रिंटर तकनीक में सीवीजे सर्जरी में पहली बार उनके द्वारा डिजाइन किया गया रिडक्शन स्क्रू प्रयोग किया गया।
लोहिया संस्थान के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि मरीज के गर्दन के पिछले हिस्से में रीढ़ की हड्डी में समस्या थी। जांच में पाया गया कि मरीज सीवीजे(क्रेनियोवर्टिब्राल जंक्शन एनामली) बीमारी से पीड़ित थी, जिस कारण उसकी गर्दन एक ओर झुक गयी थी। गर्दन किसी भी तकनीक से सीधी नहीं हो पा रही थी। उसके स्पाइन की सर्जरी कर उसकी गर्दन को सीधा किया जा सकता था। डॉ. सिंह ने बताया कि मरीज का वजन अधिक होने के कारण आैर मांसपेशियों के मोटा होने के कारण सामान्य तरीके स्पाइन सर्जरी नहीं की जा सकती थी, इसके लिए 3 डी प्रिंटर तकनीक का प्रयोग करने का निर्णय लिया गया।

इस तकनीक में जहां पर सर्जरी की जानी थी वहां पर स्पाइन का एक मॉडल राजस्थान से तैयार कराया गया। उसी दौरान कम्प्यूटर में ही हड्डी में लगाए जाने वाले विशेष प्रकार के रिडक्शन स्क्रू डिजाइन किए गए। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा पहली इस प्रकार के स्क्रू को डिजाइन किया गया। इसके बाद 3 डी प्रिंटर के सहयोग स्पाइन के अंदर रिडक्शन स्कू को अंदर इंप्लांट किया गया। उन्होंने बताया कि अब कल्पना की गर्दन सीधी हो गयी और वह सामान्य रूप से अपनी गर्दन को घुमा सकेगी। डा. दीपक ने बताया कि उन्होंने न्यूरो सर्जरी विभाग में डिजाइन किया रिडक्शन स्क्रू को पेटेंट कराने के लिए आवेदन कर दिया गया है।
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