जन्मजात विकृतियों की निशुल्क सर्जरी से कम हो सकती मृत्यु दर

0
420

केजीएमयू का पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग

Advertisement

लखनऊ। शिशु मृत्युदर के पीछे की वजह दस प्रतिशत जन्मजात बीमारियां भी होना कारण है, लेकिन बीमारियों का इलाज कर नवजात बच्चों की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए बच्चों में होने वाले जन्मजात विकृतियों के इलाज के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था किसी न किसी योजना के तहत करनी होगी। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो.जेडी रावत ने शुक्रवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक सर्जन्स के 58वें स्थापना दिवस पर दी।

प्रो.जेडी रावत ने बताया कि इस दिन को पीडियाट्रिक सर्जरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि नवजात बच्चों के इलाज में आर्थिक समस्या लोगों के सामने आती है। जन्म लेने वाले बच्चें में कोई जन्मजात बीमारी होने पर आयुष्मान कार्ड से लेकर किसी योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं उपलब्ध है। इसलिए नवजात बच्चों के लिए भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे उनको समय रहते इलाज मिल सके। समय पर इलाज मिलने से बच्चों की जान बचाई जा सकेगी।

प्रो. जेडी रावत ने कहा कि नवजात बच्चों की मौतो में से 10 प्रतिशत का कारण जन्म दोष और बाल शल्य चिकित्सा विकार होते है। इसके अलावा हर दिन 3000 से अधिक बच्चे जन्म दोषों के साथ पैदा होते है, जिनका उपचार न किये जाने पर उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में पीडियाट्रिक सर्जरी दिवस की इस वर्ष की थीम भारत के सभी जिलों में बाल शल्य चिकित्सा सेवाओं और पीडियाट्रिक सर्जन्स की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देती है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह राष्ट्र के हर जिले में एक मेडिकल कालेज की स्थापना हो रही है। मेडिकल कालेजो में कम से कम एक पीडियाट्रिक सर्जरी इकाई उपलब्ध होनी चाहिए, जो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए प्रत्येक कालेज मे 10 प्रतिशत सर्जिकल बिस्तरों के आवंटन के अनुरूप हो।

उन्होंने बताया कि आधुनिक पीडियाट्रिक सर्जरी कई जटिल बीमारियों से निपटने में सक्षम है, जिसमें जन्म से ठीक पहले से लेकर 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों में मूत्र, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, छाती, न्यूरोसर्जिकल समस्याओं समेत विभिन्न जन्म दोष शामिल हैं। कीहोल, एंडोस्कोपिक, लेप्रोस्कोपिक, पीडियाट्रिक एनेस्थीसिया, उच्च स्तरीय गहन देखभाल और रोबोटिक सर्जरी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के चलते यह विधा सुरक्षित और कारगर उपचार प्रदान करने में सफल हुयी है। आधुनिक पीडियाट्रिक सर्जरी के सफल 58 वर्ष, बाल स्वास्थ्य रक्षा मे एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

Previous articleयोगी राज में दुरुस्त हुआ यूपी का स्वास्थ्य
Next articleडाक्टर और मरीज के बीच सामंजस्य आवश्यक: राज्यपाल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here