गजब: मेल में ज्यादा, फिमेल में कम,बन रही एंटीबॉडी

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पुरुषों में 95.71 व महिलाओं में 76.67 प्रतिशत

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लखनऊ। पुरुषों में महिलाओं के अपेक्षा अधिक कोरोना एंटीबॉडी एक अध्ययन शोध में पायी गयी हैं। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा किये गये एक अध्ययन में यह चौंकाने वाले आंकड़े मिले है। बुधवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट में पुरुष हेल्थ वर्कर में 95.71 प्रतिशत में कोरोना एंटीबॉडी मिली है, जबकि 76.67 प्रतिशत महिला हेल्थ वर्कर में एंटीबॉडी मिली हैं। यह अध्ययन केजीएमयू में तैनात डाक्टर, कर्मियों पर किया गया है।
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख डा. तूलिका चंद्रा ने बताया कि केजीएमयू में तैनात लगभग 2000 डॉक्टर व कर्मचारियों पर यह एंटीबॉडी जांच का अध्ययन कि या गया है। इसमें 1400 पुरुष व 600 महिला हेल्थ वर्कर शामिल किया गय हैं। अध्ययन में वैक्सीनेशन की पहली व दूसरी डोज लगा चुके हेल्थ वर्कर को शामिल किया गया। इसके अलावा किन्हीं कारणों से वैक्सीनेशन न कर पाये लोगों को भी अध्ययन में शामिल किया गया।
डा. तूलिका ने बताया कि ब्लड टेस्ट से एंटीबॉडी कितनी है, इसकी जांच की गयी है। उन्होंने बताया कि अध्ययन की रिपोर्ट में देखा गया कि 90 प्रतिशत हेल्थ वर्कर में एंटीबॉडी हैं, जब कि सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी नहीं बन सकी है। लगभग 200 हेल्थ वर्कर में एंटीबॉडी नहीं पाईं गई। इसको भी अलग- अलग करके देखा जाए तो 140 महिला व 60 पुरुष हैं। दूसरी ओर 1800 में 1340 में पुरुष व 460 महिला हेल्थ वर्कर में एंटीबॉडी मिली हैं।
डॉ. तूलिका का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर की आंशका को देखते हुए शरीर में एंटीबॉडी न बनना चिंता का विषय बना गया है। अगर अध्ययन रिपोर्ट को देखा जाए तो महिलाओं को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। सभी को वैक्सीनेशन कराना आवश्यक है। सोशल डिस्टेसिंग के अलावा मास्क का अति आवश्यक है।

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