ट्रामा सेंटर :गंभीर मरीज भी इलाज के इंतजार में….

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर में बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण गंभीर मरीजों का इलाज मुश्किल होता जा रहा है। यहां पर मरीजों की संख्या का आलम यह है कि मरीजों को स्ट्रेचर पर भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मरीज के तीमारदार या तो हंगामा मचा रहे है या फिर मरीजों को लेकर निजी अस्पताल जा रहे है। तीमारदारों का आरोप है कि अगर मरीजों की भीड़ के बाद भी व्यवस्था में सुधार आ जाए तो इलाज आसानी से मिल सकता है।

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ट्रामा सेंटर में मरीजों की भर्ती की वेंटिग चल रही है। यहां पर काफी संख्या में गंभीर ऐसे भी मरीज है, जिनका इलाज तक शुरू नही हो पा रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत न्यूरो व सर्जरी के मरीजों का हाल बेहाल है। रामपुर के पास हुए एक्सीडेंट से घायल होकर आये मरीज के तीमारदारों का आरोप है कि बीती रात में ग्यारह बजे ट्रामा सेंटर आ गये। यहां पर स्ट्रेचर पर ही इलाज किया जा रहा है। घावों को तो छुआ ही नहीं गया है। सिर्फ ग्लूकोज ही चढ़ाया जा रहा है। मरीज की बिगड़ती हालत को देखते हुए अब यहां से निजी अस्पताल ले जा रहे है। इसी प्रकार न्यूरो सर्जरी विभाग के लिए रेफर होकर आयी, सविता ने बताया कि उसके पिता जी को ब्रोन हेमरेज हुआ,यहां पर स्ट्रेचर पर भर्ती करके जांच तो करा ली गयी लेकिन दिन से रात हो गयी, लेकिन इलाज तक नही शुरू हो पाया। कुछ बताया भी नहीं जा रहा है।

कमोबेश एक्सीडेंट में घायल होकर आये सुरेश ने बताया कि उनके मामा के लड़के बेटे के पैर में फ्रेक्चर हो गया है। जांच हो गयी, लेकिन भर्ती करके इलाज नहीं शुरु हो पाया है। सेंटर में आरएसओ वार्ड सर्जिक ल में 57 बिस्तर है आैर ट्रामा सर्जरी प्री में भी दस बिस्तर है। न्यूरो सर्जरी में 26 बिस्तर तथा ट्रामा सर्जरी में35 बिस्तर है। इसी प्रकार आर्थो इमरजेंसी में 26 बिस्तर है। सीसीयू में 19 बिस्तर है। जब कि पंचम तल पर वेंटिलेंटर है। इसके बावजूद सभी विभागों में बिस्तर फुल रहते है आैर मरीजों का इलाज स्ट्रेचर पर करना पड़ता है।

इस बारे में केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट पहले ही पत्रकार वार्ता में कह चुके है कि आस-पास जनपदों व क्षेत्रों से गंभीर हो या सामान्य मरीजों को सीधे यहां रेफर कर दिया जाता है। अगर स्थानीय स्तर पर प्राथमिक इलाज ी किया जाए तो यहां पर गंभीर मरीजों को इलाज तत्काल मिल सकता है। इसके बाद भी सभी विशेेषज्ञ व अन्य डाक्टर इलाज कर रहे है। उनका मानना है कि मरीज हर तरफ से निराश होकर इलाज कराने यहां पर आता है। अगर हम भी मना कर दे तो मरीज कहां जाएगा।

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